शुक्रवार, 20 मई 2011

245. अधरों की बातें

अधरों की बातें

*******

तुम्हारे अधरों की बातें
तुम क्या जानो
मेरे अधरों को बहुत भाते हैं
न समझे तुम मन की बातें
कैसे कहें तुमको
तुम्हें देख हम खिल जाते हैं
तुम भी देख लो मेरे सनम
प्रीत की रीत
यूँ ही नहीं निभाते हैं
शाख पे बैठी कोई चिरैया
गीत प्यार का जब गाती है
सुनकर गीत मधुर
साथी उसके उड़ आते हैं
ऐसे तुम भी आ जाओ
मेरे अधरों पे गीत रच जाओ
अब तुम बिन हम रह नहीं पाते हैं
जाने कब आएँगे वो दिन
जादू-सी रातें बीते हुए दिन
वो दिन बड़ा सताते हैं
हर पल तुमको बुलाते हैं
अब हम रह नहीं पाते हैं। 

- जेन्नी शबनम (18. 5. 2011)
_____________________

18 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बेहतरीन कविता, हृदयस्पर्शी बधाई

रश्मि प्रभा... ने कहा…

शाख पे बैठी कोई चिरैया
गीत प्यार का जब गाती
सुन गीत मधुर
साथी उसके उड़ आते हैं,
ऐसे तुम भी आ जाओ
मेरे अधरों पे गीत रच जाओ... neh nimantran pyaara sa hai

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कोमल एहसासों को व्यक्त किया है ..सुन्दर रचना

मनोज कुमार ने कहा…

मन के मधुर भावों की भावुक अभिव्यक्ति।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति . दिल की गहराइयों से ओमदे(umde) जज्बात हैं शायद. अति प्रभावी !

PRAN SHARMA ने कहा…

khoobsoorat shabd aur unke anuroop
khoobsoorat bhaav . Achchhee lagee
hai kavita .Badhaaee .

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (21.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

SAJAN.AAWARA ने कहा…

Mam bahut hi khubsurat rachna likhi hai aapne. . Pyari kavita. .
Jai hind jai bharat

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और मखमली सी भावप्रणव रचना!

सहज साहित्य ने कहा…

अधरों की बातें कविता की ये पंक्तियाँ माधुर्य गुण से ओतप्रोत हैं-शाख पे बैठी कोई चिरैया
गीत प्यार का जब गाती
सुन गीत मधुर
साथी उसके उड़ आते हैं,
ऐसे तुम भी आ जाओ
मेरे अधरों पे गीत रच जाओ
अब तुम बिन हम रह नहीं पाते हैं, 'चिरैया' शब्द का प्रयोग अतिरिक्त माधुर्य से सिक्त है । जेन्नी शबनम जी की भाषा के प्रति यह सजगता उनकी कविता में और चार चाँद लगा देती है ।

amit kumar srivastava ने कहा…

ये अधीर सा करते अधर.

बहुत खूब...

विभूति" ने कहा…

sunder rachna...

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

जी मैं पहली बार आज आपके ब्लाग पर हूं। सच में बहुत अच्छी लगी आपकी कविता। शुरू से ही विषय की पटरी पर आ गई और आखिर तक उस पर बनी रही। बहुत सुंदर

तुम क्या जानो
मेरे अधरों को बहुत भाते हैं,
न समझे तुम मन की बातें
कैसे कहें तुमको

Shah Nawaz ने कहा…

वाह... बहुत खूब... बहुत ही गहराई लिए हुए रचना है!

deepak sinha ने कहा…

sundar rachna,badhaee ke sath meri subhkana,

MUKANDA ने कहा…

बेरख्त जरे लम्हे ,कहते हो भूलाने को
असरार जले दिल पे , नासूर हज़ारो है ,..............रवि विद्रोही

prritiy----sneh ने कहा…

Bahut sunder
Shubhkamnayen

Archana Gangwar ने कहा…

बहुत प्यारा सा लिखा है