रिश्ते
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बेनाम रिश्ते
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कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं
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कुछ रिश्ते बेनाम होते हैं
जी चाहता है
कुछ नाम रख ही दूँ
क्या पता किसी ख़ास घड़ी में
उसे पुकारना ज़रूरी पड़ जाए
जब नाम के सभी रिश्ते नाउम्मीद कर दें
और बस एक आखिरी उम्मीद वही हो...
2.
बेकाम रिश्ते
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कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं
कुछ रिश्ते बेकाम होते हैं
जी चाहता है
भट्टी में उन्हें जला दूँ
और उसकी राख को अपने आकाश में
बादल-सा उड़ा दूँ
जो धीरे-धीरे उड़ कर धूल-कणों में मिल जाएँ
बेकाम रिश्ते बोझिल होते हैं
बोझिल ज़िन्दगी आख़िर कब तक...
3.
बेशर्त रिश्ते
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कुछ रिश्ते बेशर्त होते हैं
बिना किसी अपेक्षा के जीते हैं
जी चाहता है
अपने जीवन की सारी शर्तें
उन पर निछावर कर दूँ
जब तक जिऊँ बेशर्त रिश्ते निभाऊँ...
4.
बासी रिश्ते
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कुछ रिश्ते बासी होते हैं
कुछ रिश्ते बासी होते हैं
रोज़ गर्म करने पर भी नष्ट हो जाते हैं
और अंततः बास आने लगती है
जी चाहता है
पोलीथीन में बंद कर कूड़ेदान में फेंक दूँ
ताकि वातावरण दूषित होने से बच जाए...
5.
बेकार रिश्ते
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कुछ रिश्ते बेकार होते हैं
कुछ रिश्ते बेकार होते हैं
ऐसे जैसे दीमक लगे दरवाज़े
जो भीतर से खोखले पर साबुत दिखते हों
जी चाहता है
दरवाज़े उखाड़कर आग में जला दूँ
और उनकी जगह शीशे के दरवाज़े लगा दूँ
ताकि ध्यान से कोई ज़िन्दगी में आए
कहीं दरवाज़ा टूट न जाए...
6.
शहर-से रिश्ते
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कुछ रिश्ते शहर-से होते हैं
कुछ रिश्ते शहर-से होते हैं
जहाँ अनचाहे ठहरे होते हैं लोग
जाने कहाँ-कहाँ से आकर बस जाते हैं
बिना उसकी मर्जी पूछे
जी चाहता है
सभी को उसके-उसके गाँव भेज दूँ
शहर में भीड़ बढ़ गई है...
7.
बर्फ़-से रिश्ते
बर्फ़-से रिश्ते
***
कुछ रिश्ते बर्फ़-से होते हैं
आजीवन जमे रहते हैं
जी चाहता है
इस बर्फ की पहाड़ी पर चढ़ जाऊँ
और अनवरत मोमबत्ती जलाए रहूँ
ताकि धीरे-धीरे, ज़रा-ज़रा-से पिघलते रहे...
8.
अजनबी रिश्ते
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कुछ रिश्ते अजनबी होते हैं
हर पहचान से परे
कोई अपनापन नहीं
कोई संवेदना नहीं
जी चाहता है
इनका पता पूछ कर
इन्हें बैरंग लौटा दूँ...
9.
ख़ूबसूरत रिश्ते
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कुछ रिश्ते खूबसूरत होते हैं
इतने कि खुद की भी नज़र लग जाती है
जी चाहता है
इनको काला टीका लगा दूँ
लाल मिर्च से नज़र उतार दूँ
बुरी नज़र... जाने कब... किसकी...
10.
बेशक़ीमती रिश्ते
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कुछ रिश्ते बेशकिमती होते हैं
जौहरी बाज़ार में ताखे पे सजे हुए
कुछ अनमोल
जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता
जी चाहता है
इनपर इनका मोल चिपका दूँ
ताकि देखने वाले इर्ष्या करें...
11.
आग-से रिश्ते
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कुछ रिश्ते आग-से होते हैं
कभी दहकते हैं, कभी धधकते हैं
अपनी ही आग में जलते हैं
जी चाहता है
ओस की कुछ बूँदें
आग पर उड़ेल दूँ
ताकि धीमे-धीमे सुलगते रहें...
12.
चाँद-से रिश्ते
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कुछ रिश्ते चाँद-से होते हैं
कभी अमावस तो कभी पूर्णिमा
कभी अन्धेरा कभी उजाला
जी चाहता है
चाँदनी अपने पल्लू में बाँध लूँ
और चाँद को दिवार पे टाँग दूँ
कभी अमावस नहीं...
13.
फूल-से रिश्ते
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कुछ रिश्ते फूल-से होते हैं
खिले-खिले बारहमासी फूल की तरह
जी चाहता है
उसके सभी काँटों को
ज़मीन में दफ़न कर दूँ
ताकि कभी चुभे नहीं
ज़िन्दगी सुगन्धित रहे
और खिली-खिली...
14.
रिश्ते ज़िन्दगी
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कुछ रिश्ते ज़िन्दगी होते हैं
ज़िन्दगी यूँ ही जीवन जीते हैं
बदन में साँस बनकर
रगों में लहू बनकर
जी चाहता है
ज़िन्दगी को चुरा लूँ
और ज़िन्दगी चलती रहे यूँ ही...
15.
अनुभूतियों के रिश्ते
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रिश्ते फूल, तितली, जुगनू, काँटे...
रिश्ते चाँद, तारे, सूरज, बादल...
रिश्ते खट्टे, मीठे, नमकीन, तीखे...
रिश्ते लाल, पीले, गुलाबी, काले, सफ़ेद, स्याह...
रिश्ते कोमल, कठोर, लचीले, नुकीले...
रिश्ते दया, माया, प्रेम, घृणा, सुख, दुःख, ऊर्जा...
रिश्ते आग, धुआँ, हवा, पानी...
रिश्ते गीत, संगीत, मौन, चुप्पी, शून्य, कोलाहल...
रिश्ते ख्वाब, रिश्ते पतझड़, रिश्ते जंगल, रिश्ते बारिश...
रिश्ते स्वर्ग, रिश्ते नरक...
रिश्ते बोझ, रिश्ते सरल...
रिश्ते मासूम, रिश्ते ज़हीन...
रिश्ते फरेब, रिश्ते जलील...
16.
ज़िन्दगी रिश्ते, रिश्ते ज़िन्दगी
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रिश्ते उपमाओं-बिम्बों से सजे
संवेदनाओं से घिरे
रिश्ते, रिश्ते होते हैं
जैसे समझो
रिश्ते वैसे होते हैं...
ज़िन्दगी रिश्ते
रिश्ते ज़िन्दगी...
- जेन्नी शबनम (16. 11. 2012)
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16 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
रिश्ते उपमाओं बिम्बों से सजे संवेदनाओं से घिरे रिश्ते रिश्ते होते हैं जैसे समझो रिश्ते वैसे होते हैं...
recent post...: अपने साये में जीने दो.
बेहद खूबसूरत जेन्नी जी....
कुछ रिश्ते शहर होते हैं
जहाँ अनचाहे ठहरे होते हैं लोग
जाने कहाँ-कहाँ से आ कर बस जाते हैं
बिना उसकी मर्जी पूछे
जी चाहता है
सभी को उसके-उसके गाँव भेज दूँ
शहर में भीड़ बढ़ गई है...
लाजवाब.....
शायाद आपकी सबसे प्यारी रचना कहूँ इसको...
कई बार,बार बार पढ़ी...
बहुत सुन्दर..
अनु
कुछ रिश्ते ज़िंदगी होते हैं
ज़िंदगी यूँ ही जीवन जीते हैं
बदन में साँस बनकर
रगों में लहू बनकर
जी चाहता है
ज़िंदगी को चुरा लूँ
और ज़िंदगी चलती रहे यूँ ही...
रिश्तों पर इतनी गहराई से हृदय की बात उडेल देना डॉ जेन्नी शबनम के ही वश का काम है । मानस-मन्थब=न से ही इस प्रकार का काव्य नि:सृत होता है । मैं तो यही कह सकता हूँ कि अगले जन्म में भले ही ऐसी कविता रच पाऊँ इस जन्म में तो मुझे सम्भव प्रतीत नहीं होता । मेरी तरफ़ से कोटिश: बधाइयाँ जेन्नी शबनम जी !
कितना कुछ कह गयी आप रिश्तों के बारे में .. और कितना कुछ हकीक़त ... अद्भुत
बहुत सुंदर रचना
आखिर क्यों नहीं पहुँचती हमारी पोस्ट गूगल सर्च तक?
रिश्तों पे सारी बातें कह डाली आपने !
मुझे खासकर बेनाम और बेशर्त रिश्ते काफी अच्छे लगें। :)
सादर
मधुरेश
रिश्ते उपमाओं बिम्बों से सजे
संवेदनाओं से घिरे
रिश्ते रिश्ते होते हैं,,,उम्दा अभिव्यक्ति,,
recent post...: अपने साये में जीने दो.
uljhe ham rishton mein
bahut hi Bhavaporn Prastuti..badhai
"कुछ रिश्ते बेशर्त होते हैं
बिना किसी अपेक्षा के जीते हैं
जी चाहता है
अपने जीवन की सारी शर्तें
उनपर निछावर कर दूँ
जब तक जीऊँ
बेशर्त रिश्ते निभाऊँ..."
रिश्तों बहुआयामी चित्रण - बहुत सुंदर
रिश्तों की माला बना दी आपने इतनी खुबसूरत की इसे किसी के गले का हार बना दो वही जिंदा हो उठेगा .
kuchh rishte dil ko chhute hain ..
jaise "di" ek chhota sa shabd... maa ke baaad sabse khubsurat rishta:))
रिश्तों का गाथा अगाध - समझते समझते जीवन बीत जाता है!
जेन्नी जी रिश्तों का बेहद खबूसूरत वर्णन...
आप मेरे ब्लाग पर आएं...मैं एक योजना पर काम कर रही हूं...आप पढ़े और अवगत कराएं...
very nice......
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