स्टैचू बोल दे
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1.
उन पलों को तू स्टैचू बोल दे
5.
7.
9.
10.
- जेन्नी शबनम (17. 1. 2013)
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1.
स्टैचू बोल दे
***
जी चाहता है उन पलों को तू स्टैचू बोल दे
जिन पलों में वह साथ हो
और फिर भूल जा।
2.
2.
लाइफ़
***
एक मुट्ठी ही सही
एक मुट्ठी ही सही
तू उसके मन में चाहत भर दे
लाइफ़ भर का मेरा काम
चल जाएगा।
3.
3.
बैलेंस
***
भरोसे की पोटली में
भरोसे की पोटली में
ज़रा-सा भ्रम भी बाँध दे
सत्य असह्य हो तो
भ्रम मुझे बैलेंस करेगा।
4.
4.
नम्बर लॉक
***
उसके लम्स के कतरे
उसके लम्स के कतरे
तू अपनी उस तिजोरी में रख दे
जिसमें चाभी नहीं नंबर लॉक हो
मेरी तरह वो तुझसे
जबरन न कर सकेगा।
5.
सेटलाइट
***
अंतरिक्ष में
अंतरिक्ष में
एक सेटलाइट टाँग दे
जो सिर्फ़ मेरी निगहबानी करे
तुझे जब फ़ुर्सत हो रिवाइंड कर
और मेरा हाल जान ले।
6.
6.
कैलेण्डर
***
क़यामत का दिन
तूने मुकरर्र तो किया होगा
इस साल के कैलेण्डर में घोषित कर दे
ताकि उससे पहले
अपने सातों जन्म जी लूँ।
7.
सेविंग्स अकाउंट
***
अपना थोड़ा वक़्त
अपना थोड़ा वक़्त
तेरे बैंक के सेविंग्स अकाउंट में
जमा कर दिया है
न अपना भरोसा न दुनिया का
अंतिम दिन कुछ वक़्त
जो सिर्फ़ मेरा।
8.
8.
मैनेजमेंट
***
मैं सागर हूँ
मुझमें लहरें, तूफ़ान, ख़ामोशी, गहराई है
इस दुनिया में भेजने से पहले
मैनेजमेंट का कोर्स
मुझे करा तो दिया होता।
9.
बाय
***
मेरे कहे को सच न मान
रोज़ 'बाय' कर लौटना होता है
और उसने कहा-
जाकरके आते हैं
कभी न लौटा।
10.
कंफ़्यूज़
***
बहुत कंफ़्यूज़ हूँ
एक प्रश्न का उत्तर दे-
मुझे धरती क्यों बनाया?
जबकि मन इंसानी!
- जेन्नी शबनम (17. 1. 2013)
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17 टिप्पणियां:
बहुत कन्फ्यूज़ हूँ
एक प्रश्न का उत्तर दे -
मुझे धरती क्यों बनाया?
जबकि मन
इंसानी...
यही तो कुदरत का करिश्मा है डॉ साहिबा अद्भुत मन के भाव सोचने को मजबूर करते
बहुत सुन्दर जेन्नी जी.....
लाजवाब..
उसके लम्स के क़तरे
तू अपनी उस तिजोरी में रख दे
जिसमें चाभी नहीं
नंबर लॉक हो
मेरी तरह 'वो' तुझसे
जबरन न कर सकेगा...
ये तो गज़ब है...वैसे सभी बेहतरीन..
अनु
सुंदर उड़ान
अंतरिक्ष में
एक सेटलाईट टाँग दे
जो सिर्फ मेरी निगहबानी करे
जब फुर्सत हो तुझे
रिवाइंड कर
और मेरा हाल जान ले...
वाह,,,बहुत लाजबाब अभिव्यक्ति ,,,
recent post: मातृभूमि,
बहुत कन्फ्यूज़ हूँ
एक प्रश्न का उत्तर दे -
मुझे धरती क्यों बनाया?
जबकि मन
इंसानी... ऐसे प्रश्न पत्र भगवान् तक हल नहीं करते
bahut badhiya ...Shabnam ji..
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (19-1-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
बहुत बढ़िया ....
ek se badhkar ek......
अंतरिक्ष में
एक सेटलाईट टाँग दे
जो सिर्फ मेरी निगहबानी करे
जब फुर्सत हो तुझे
रिवाइंड कर
और मेरा हाल जान ले...
बहुत खूब ... सभी क्षणिकाएं मन के गहरे एहसास को प्रेम की आस को बाखूबी बयान कर रही हैं ... लाजवाब ...
जी चाहता है
उन पलों को
तू स्टैच्यू बोल दे
जिन पलों में
'वो' साथ हो
और फिर भूल जा...
भरोसे की पोटली में
ज़रा-सा भ्रम भी बाँध दे
सत्य असह्य हो तो
भ्रम मुझे बैलेंस करेगा... वाह बहुत खूब जेनी जी
जीवन की गहरी अनुभूति-----सुंदर रचना
बधाई
बहुत खूब ... सभी क्षणिकाएं पसंद आई,
recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,
जब सब सवाल के जबाब मिल जाये तो फिर एक पोस्ट बनाने का कष्ट करें !!
बहुत सुन्दर!
http://voice-brijesh.blogspot.com
जी चाहता है
उन पलों को
तू स्टैच्यू बोल दे
जिन पलों में
'वो' साथ हो
और फिर भूल जा...
जेन्नी शबनम जी बहुत ही अच्छी कविता |आभार
बहुत कन्फ्यूज़ हूँ किस क्षणिका को चुनूँ...सभी क्षणिकाएं बहुत उत्कृष्ट और दिल को छु जाती हैं..
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