बुधवार, 6 मार्च 2013

388. चाँद का रथ (7 हाइकु) पुस्तक 31, 32

चाँद का रथ

*******

1.
थी विशेषता  
जाने क्या-क्या मुझमें,
हूँ अब व्यर्थ। 

2.
सीले-सीले-से
गर हों अजनबी, 
होते हैं रिश्ते। 

3.
मन का द्वन्द्व 
भाँपना है कठिन
किसी और का। 

4.
हुई बावली 
सपनों में गुजरा 
चाँद का रथ। 

5. 
जन्म के रिश्ते 
सदा नहीं टिकते 
जग की रीत।  

6.
अनगढ़-से
कई-कई किस्से हैं 
साँसों के संग। 

7.
हाइकु ऐसे   
चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण 
ज़िन्दगी जैसे। 

- जेन्नी शबनम (18. 2. 2013)
____________________

17 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सुन्दर हाइकु

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत उम्दा,,,

Recent post: रंग,

virendra sharma ने कहा…


हकीकत और फलसफा ए ज़िन्दगी लिए हैं कई हाइकु


3.
मन का द्वन्द
भाँपना है कठिन
किसी और का !......द्वंद्व

Bhagirath Kankani ने कहा…

Bahut sundar abhivektti. Mere blog santam sukhaya par aapakaa swagat hai. Apni beak tippani likhe Dhanywaad

Unknown ने कहा…

जीवन का अर्थ समझाते हायकू . बधाई

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति-
आभार-

kavita verma ने कहा…

har hayakoo apne arth ko sarthak karta hua...behatreen..

Dinesh pareek ने कहा…

वहा बहुत खूब बेहतरीन

आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।

Neeraj Neer ने कहा…

वाह! बहुत सार्थक गागर में सागर जैसे..
नीरज 'नीर'
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)

आशा बिष्ट ने कहा…

Gahre shbd....

Ramakant Singh ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अद्भुत निःशब्द करती अभिव्यक्ति करती

Ramakant Singh ने कहा…

निःशब्द करते हाइकू . जीवन को शब्द देते

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

जन्म के रिश्ते
सदा नहीं टिकते
जग की रीत !

जवाब नहीं.... !

नाम क्षणिका हैं लेकिन प्रभाव दीर्घकालिक है।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...

सारिका मुकेश ने कहा…

हाइकु ऐसे
चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण
ज़िंदगी जैसे !.....सच कहा आपने, दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है....
बहुत सुन्दर हाइकु....बधाई एवं शुभकामनाएँ!!

खोरेन्द्र ने कहा…

जन्म के रिश्ते
सदा नहीं टिकते
जग की रीत ! sabhi hayku achchhe lage