शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

429. फिर आता नहीं

फिर आता नहीं

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जाने कब आएगा, मेरा वक़्त   
जब पंख मेरे और परवाज़ मेरी   
दुनिया की सारी सौग़ात मेरी   
फूलों की खुशबू, तारों की छतरी   
मेरे अँगने में खिली रहे, सदा चाँदनी   

वो कोई सुबह   
जब आँखों के आगे कोई धुँध न हो   
वो कोई रात, जो अँधेरी मगर काली न हो   
साँसों में ज़रा-सी थकावट नहीं   
पैरों में कोई बेड़ी नहीं   
उड़ती पतंगों-सी, गगन को छू लूँ   
जब चाहे हवा से बातें करूँ   
नदियों के संग बहती रहूँ   
झीलों में डुबकी, मन भर लेती रहूँ   
चुन-चुनकर, ख़्वाब सजाती रहूँ   
सारे ख़्वाब हों, सुनहरे-सुनहरे   
शहद की चाशनी में पके, मीठे गुलगुले-से  

धक् से, दिल धड़क गया   
सपने में देखा, उसने मुझसे कहा-   
तुम्हारा वक़्त कल आएगा   
लम्हा भर भी सोना नहीं   
हाथ बढ़ाकर पकड़ लेना झट से   
खींचकर चिपका लेना कलेजे से   
मंदी का समय है, सब झपटने को आतुर   
चूकना नहीं   
गया वक़्त फिर आता नहीं   

- जेन्नी शबनम (13. 12. 2013) 
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12 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

जेन्नी शबनम जी की कविता पढ़ना सदैव मन को बहुत गहरी आश्वस्ति जैसा है कि खर-पतवार के बीच भी अच्छी कविता जीवित रहती है। यह कविता इतनी प्रवाहमयी है की पाठक को सराबोर किए बिना नहीं रहती । ये पंक्तियाँ अपनी तीव्रताके काअर्ण झकझोर देती हैं- तुम्हारा वक़्त कल आएगा
लम्हा भर भी सोना नहीं
हाथ बढ़ा कर पकड़ लेना झट से
खींच कर चिपका लेना कलेजे से
मंदी का समय है
सब झपटने को आतुर
चूकना नहीं
गया वक़्त फिर आता नहीं !

shalini kaushik ने कहा…

SUNDAR ABHIVYAKTI

Madhuresh ने कहा…

बहुत सुन्दर, प्रेरित करती पंक्तियाँ!
सादर
मधुरेश

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (14-12-13) को "वो एक नाम" (चर्चा मंच : अंक-1461) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

मन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...!
RECENT POST -: मजबूरी गाती है.

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

मंदी का समय है
सब झपटने को आतुर
चूकना नहीं
गया वक़्त फिर आता नहीं !
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति !
नई पोस्ट विरोध
new post हाइगा -जानवर

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सुन्दर भाव लिए बेहतरीन रचना....

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

kai baar vakt hame rula kar aata hai .......sundar rachna ........

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

स्वप्न और यथार्थ के बारीक रिश्ते का सही विश्लेषण।

Unknown ने कहा…

वक्त की अच्छी चाल है चलता रहता है मगर 'अपना वक़्त' थामना हो तो रातों जागना पड़ता है ...सुंदर

tbsingh ने कहा…

gaya vaqt aata nahi isiliye hame sadaiv satkarm karte rahana chaihiye
sunder rachana