शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

468. जीवन-बोध (शिक्षक दिवस पर 10 हाइकु) पुस्तक 60,61

जीवन-बोध 

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1.
गुरु से सीखा 
बिन अँगुली थामे  
जीवन-बोध।  

2.
बढ़ता तरु,  
माँ है प्रथम गुरु  
पाकर ज्ञान। 
  
3.
करता मन  
शत-शत नमन  
गुरु आपको।  

4.
खिले आखर   
भरा जीवन-रंग 
जो था बेरंग।   

5.
भरते मान  
पाते हैं अपमान, 
कैसा ये युग?  

6. 
ख़ुद से सीखा  
अनुभवों का पाठ  
जीवन गुरु।  

7.
थी नासमझ 
भाषा-बोली-समझ    
गुरु से पाई।   

8.
ज्ञान का तेज  
चहुँ ओर बिखेरे  
गुरु-दीपक।   

9.
प्रेरणा-पुष्प  
जीवन में खिलाते  
गुरु प्रेरक।   

10.
पसारा ज्ञान  
दूर भागा अज्ञान  
सद्गुणी गुरु।  

- जेन्नी शबनम (5. 9. 2014)
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11 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

सभी हाइकु बहुत प्रभावशाली और सामयिक हैं ।बहुत बधाई!

सदा ने कहा…

सभी हाइकु ... सशक्‍त भावों को व्‍यक्‍त कर रहे हैं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उम्दा।
--
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

अभिषेक शुक्ल ने कहा…

sundar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लाजवाब सामयिक हाइकू ...
बधाई गुरु दिवस की ...

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत सुन्दर हायकू डॉ जेन्नी शबनम जी |आपका आभार

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर और सारगर्भित हाइकु...

Asha Joglekar ने कहा…

शिक्षक दिवस पर सुंदर गुरु हाइकू।

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

Sanju ने कहा…

बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई मेरी

नई पोस्ट
पर भी पधारेँ।

राज चौहान ने कहा…

सुन्दर और सारगर्भित हाइकु
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है

राज चौहान
http://rajkumarchuhan.blogspot.in