जीवन-बोध
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1.
गुरु से सीखा
बिन अँगुली थामे
जीवन-बोध।
2.
बढ़ता तरु,
माँ है प्रथम गुरु
पाकर ज्ञान।
3.
करता मन
शत-शत नमन
गुरु आपको।
4.
खिले आखर
भरा जीवन-रंग
जो था बेरंग।
5.
भरते मान
पाते हैं अपमान,
कैसा ये युग?
6.
ख़ुद से सीखा
अनुभवों का पाठ
जीवन गुरु।
7.
थी नासमझ
भाषा-बोली-समझ
गुरु से पाई।
8.
ज्ञान का तेज
चहुँ ओर बिखेरे
गुरु-दीपक।
9.
प्रेरणा-पुष्प
जीवन में खिलाते
गुरु प्रेरक।
10.
पसारा ज्ञान
दूर भागा अज्ञान
सद्गुणी गुरु।
- जेन्नी शबनम (5. 9. 2014)
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11 टिप्पणियां:
सभी हाइकु बहुत प्रभावशाली और सामयिक हैं ।बहुत बधाई!
सभी हाइकु ... सशक्त भावों को व्यक्त कर रहे हैं
बहुत उम्दा।
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शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
sundar
लाजवाब सामयिक हाइकू ...
बधाई गुरु दिवस की ...
बहुत सुन्दर हायकू डॉ जेन्नी शबनम जी |आपका आभार
बहुत सुन्दर और सारगर्भित हाइकु...
शिक्षक दिवस पर सुंदर गुरु हाइकू।
बहुत बढ़िया
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई मेरी
नई पोस्ट पर भी पधारेँ।
सुन्दर और सारगर्भित हाइकु
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
राज चौहान
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
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