गंगा
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1.
चल पड़ी हूँ
सागर से मिलने
गंगा के संग।
2.
जीवन गंगा
सागर यूँ ज्यों कज़ा
अंतिम सत्य।
3.
मुक्ति है देती
पाप पुण्य का भाव
गंगा है न्यारी।
4.
सब समाया
जीवन और मृत्यु
गंगा की गोद।
5.
हम हैं पापी
गंगा को दुःख देते
कर दूषित।
6.
निश्छल प्यार
सबका बेड़ा पार
गंगा है माँ-सी।
7.
पावनी गंगा
कल-कल बहती
जीवन देती।
8.
बसा जीवन
सदियों का ये नाता
गंगा के तीरे।
9.
गंगा की बाहें
सबको समेटती
भलें हों पापी।
10.
जीवन बाद
गंगा में प्रवाहित
अंतिम लक्ष्य।
11.
गंगा है हारी
वो जीवनदायिनी
मानव पापी।
12.
गंगा की पीर
गंदगी को पी-पीके
हो गई मैली।
13.
क्रूर मानव
अनदेखा करता
गंगा का मन।
14.
प्रचंड गंगा
बहुत बौखलाई
बाढ़ है लाई।
15.
गंगा से सीखो
सब सहकरके
धरना धीर।
16.
हमें बुलाती
कल-कल बहती
गंगा हमारी।
17.
गंगा प्रचंड
रौद्र रूप दिखाती
जब गुस्साती।
18.
गंगा है प्यासी
उपेक्षित होके भी
प्यास बुझाती।
19.
पावनी गंगा
जग के पाप धोके
हुई लाचार।
20.
किरणें छूतीं
पाके सूर्य का प्यार
गंगा मुस्काती।
- जेन्नी शबनम (17. 12. 2020)
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15 टिप्पणियां:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-१२-२०२०) को 'कुछ रूठ गए कुछ छूट गए ' (चर्चा अंक- ३९२०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बहुत सुंदर 👌
गंगा हमारी
पुकारते हैं हम
जय जय माँ।
वाह
गंगा घर ले आई आज तो
वाह !! गंगा मैया का गौरव गान और वह भी हाइकु के साथ । बहुत सुन्दर और भावपूर्ण । अति सुन्दर ।
गंगा माँ को भावभीना नमन, अति सुंदर !
सुन्दर हाइकु....
गंगा मां की बहुत ही सुंदर गौरव गाथा, लाजबाव सृजन, सादर नमस्कार
मन पावन भाव में डुबकी लगाने लगा । हर हर गंगे । अति सुंदर ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
वाह जेन्नी जी, गंगा पर इतने उमदा हाइकू...पढ़कर बहुत अच्छा लगाा
बहुत शानदार हाइकु ।
गंगा को समर्पित गंगा से निर्मल।
पावनी गंगा पर एक से बढ़कर एक लाजवाब हायकू
वाह!!!
कमाल के हाइकू हैं सभी ...
पावस गंगा का एहसास कराते हुए ...
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