शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

70. बुरी नज़र (क्षणिका)

बुरी नज़र 

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कुछ ख़ला-सी रह गई ज़िन्दगी में
जाने किसकी बददुआ लग गई मुझको
कहते थे सभी कि ख़ुद को बचा रखूँ बुरी नज़र से
हमने तो रातों की स्याही में ख़ुद को छुपा रखा था

- जेन्नी शबनम (10. 7. 2009)
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