गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

111. ख़ुशबयानी कहो (अनुबन्ध/तुकान्त) / khushbayaani kaho (Anubandh/Tukaant)

ख़ुशबयानी कहो

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ख़ुशनुमा यादें आज कोई पुरानी कहो
क्षितिज में हो उत्सव बात रूहानी कहो  

सतरंगी किरणों-सी हो सबकी सुबह
दुनिया नई, सूरज की मेहरबानी कहो  

तल्ख़ वक़्त का, ज़िक्र न करो सब से
बस गुज़रे हयात की ख़ुशबयानी कहो  

क्यों दिल में हो बसाते कोई एक रब
हर मज़हब का सार दिल-ज़ुबानी कहो  

फ़िक्र फ़क़त अपनी ज़िन्दगानी का क्यों
फ़ख्र तो तब जब हर रूह इन्सानी कहो  

दर्द-ए-हिज्र की दास्ताँ न कहो 'शब'
ख़याल ही सही, वस्ल की कहानी कहो  

-जेन्नी शबनम (31. 12. 2009)
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Khushbayaani kaho

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khushnuma yaadein aaj koi puraani kaho
kshitij mein ho utsav baat ruhaani kaho.

satrangi kirnon-si ho sabki subah
duniya nayi, suraj ki meharbaani kaho.

talkh waqt ka zikrra na karo sab se
bas guzre hayaat ki khushbayaani kaho.

kyon dil mein ho basaate koi ek rab
har mazhab ka saar dil-zubaani kaho.

fikra faqat apni zindgaani ka kyun
fakhra to tab jab har rooh, insaani kaho.

dard-e-hijrr kee daastaan na kaho 'shab'
khayal hi sahi, wasl ki kahani kaho.

-Jenny Shabnam (31. 12 2009)
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13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

फ़िक्र फ़कत अपनी ज़िन्दगानी का क्यों
फ़क्र तो तब जब हर रूह इंसानी कहो !
बेहद ख़ूबसूरत और सन्देश वाहक.

प्रिया ने कहा…

Bahut sunder jenny ji

aapko bhi naya saal mubarak ho

मनोज कुमार ने कहा…

आपको नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनाएं।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

kaushik ji,
meri rachna aapko pasnd aai bahut shukriya.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

priya ji,
meri rachna par bahut dino baad aapko dekh kar khushi hui, bahut shukriya.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

manoj ji,
shukriya.
''naya saal mangalmaye ho''

daanish ने कहा…

क्यों दिल में हो बसाते कोई एक रब
हर मज़हब का सार दिल-ज़ुबानी कहो !

बिलकुल दुरुस्त फरमाया आपने
आज दुनिया को इसी नेक ख़याल की ही
ज़रुरत है ....
आपकी प्रार्थनाओं को हम सब भी एक स्वर में
दोहराते हैं .....
अभिवादन स्वीकारें

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

muflis ji,
aapka bahut aabhar, meri rachna ko aapne aatmsaat kiya.
aap sabhi ka sahyog milta rahe yahi kaamna hai. dhanyawaad.

खोरेन्द्र ने कहा…

क्यों दिल में हो बसाते कोई एक रब
हर मज़हब का सार दिल-ज़ुबानी कहो !

shreshth kavitaa

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

क्यों दिल में हो बसाते कोई एक रब
हर मज़हब का सार दिल-ज़ुबानी कहो !
...Ghazal sundar hai

Unknown ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (25-05-2014) को ''ग़ज़ल को समझ ले वो, फिर इसमें ही ढलता है'' ''चर्चा मंच 1623'' पर भी होगी
--
आप ज़रूर इस ब्लॉग पे नज़र डालें
सादर

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया लेखन व सभी रचनाएं , आदरणीय को धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

Radhey ने कहा…
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