नाइंसाफी क्यों
*******
ख़ुदा से रूबरू पूछा मैंने -
मर्द और औरत का ईजाद किया तुमने
ख़ुद पत्थर में बसते हो
क्या पत्थर की कठोरता नहीं जानते?
फिर ऐसी नाइंसाफी क्यों?
मर्द को आदमी बनाया
और पाषाण का दिल भी लगा दिया,
औरत को बस औरत बनाया
साथ ही दिल में जज़्बात भी भर दिया,
मर्द के दिल में
ज़रा-सा तो जज़्बात भर दिया होता!
औरत के दिल में
ज़रा-सा तो पत्थर लगा दिया होता!
मर्द बन गया पाषाण-हृदयी
भला दर्द कैसे हो?
औरत हो गई जज़्बाती
भला दर्द कैसे न हो?
आख़िर ऐसी नाइंसाफी क्यों?
ख़ुदा भी चौंक गया
अपनी नाइंसाफी को मान गया,
फिर ग़ैरवाज़िब तर्क कुछ सोचा वो
ठहरा आख़िर तो मर्द जात वो,
औरत से कमतर कैसे हो
ख़ुदा है, बेजवाब कैसे हो?
उसने कहा -
ग़र बराबरी जो होती
मर्द और औरत की पहचान कैसे होती?
फ़ासले की वज़ह कहाँ से मिलती ?
सब इंसान होते तो दुनिया कैसे चलती?
दुःख दर्द का एहसास कैसे होता?
विपरीत के आकर्षण का भान कैसे होता?
हे मूर्ख नारी, सुनो!
इसलिए कुछ औरत और कुछ आदमी बनाया
तभी तो चलायमान है ये सारी दुनिया!
मैंने भी आज जान लिया
ख़ुदा का तर्क मान लिया,
अपनी बेवकूफ़ी के सवालों से नाता तोड़ लिया
आज इस नाइंसाफी का राज़ जान लिया।
अब समझ आया कि ये नाइंसाफी क्यों
मेरे सभी सवाल नादान जज़्बाती क्यों,
क्योंकि ये जवाब ख़ुदा ने नहीं दिया था
ख़ुदारुपी पाषण-हृदयी मर्द जात ने दिया था।
इसीलिए मर्द पत्थर-दिल आदमी है
और औरत कमज़ोर-दिल इंसान है।
- जेन्नी शबनम (मार्च 8, 2010)
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर)
____________________________________
naainsaafi kyon...
*******
khuda se rubaru puchha maine -
mard aur aurat ka ijaad kiya tumne
khud patthar mein baste ho
kya patthar ki kathorta nahin jante?
fir aisi naainsaafi kyon?
mard ko aadmi banaya
aur paashaan ka dil bhi laga diya,
aurat ko bas aurat banaya
sath hi dil mein jazbaat bhi bhar diya,
mard ke dil mein
zara-sa to jazbaat bhar diya hota!
aurat ke dil mein
zara-sa to patthar laga diya hota!
mard ban gaya paashaan-hridayee
bhala dard kaise ho?
aurat ho gayee jazbaati
bhala dard kaise na ho?
aakhir aisi naainsaafi kyon?
khuda bhi chaunk gaya
apni naainsaafi ko maan gaya,
fir gairwaazib tark kuchh socha wo
thahra aakhir to mard jaat wo,
aurat se kamtar kaise ho
khuda hai bejawaab kaise ho?
usne kaha -
gar baraabari jo hoti
mard aur aurat ki pahchaan kaise hoti?
faasle ki wazah kahan se milti?
sab insaan hote to duniya kaise chalti?
dukh dard ka ehsaas kaise hota?
wipreet ka aakarshan ka bhaan kaise hota?
hey murkh naari, suno!
isliye kuchh aurat aur kuchh aadmi banaaya
tabhi to chalaayemaan hai ye saari duniya!
maine bhi aaj jaan liya
khuda ka tark maan liya,
apni bewakufi ke sawaalon se naata tod liya
aaj is naainsaafi ka raaz jaan liya.
ab samajh aaya ki ye nainsaafi kyon
mere sabhi sawaal naadaan jazbaati kyon,
kyonki ye jawaab khuda ne nahin diya tha
khudaroopi paashan-hridayee mard jaat ne diya tha.
isiliye mard patthar-dil aadmi hai
aur aurat kamjor-dil insaan hai.
- Jenny Shabnam (8. 3. 2010)
(antarrashtriy mahila divas par)
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ख़ुदा से रूबरू पूछा मैंने -
मर्द और औरत का ईजाद किया तुमने
ख़ुद पत्थर में बसते हो
क्या पत्थर की कठोरता नहीं जानते?
फिर ऐसी नाइंसाफी क्यों?
मर्द को आदमी बनाया
और पाषाण का दिल भी लगा दिया,
औरत को बस औरत बनाया
साथ ही दिल में जज़्बात भी भर दिया,
मर्द के दिल में
ज़रा-सा तो जज़्बात भर दिया होता!
औरत के दिल में
ज़रा-सा तो पत्थर लगा दिया होता!
मर्द बन गया पाषाण-हृदयी
भला दर्द कैसे हो?
औरत हो गई जज़्बाती
भला दर्द कैसे न हो?
आख़िर ऐसी नाइंसाफी क्यों?
ख़ुदा भी चौंक गया
अपनी नाइंसाफी को मान गया,
फिर ग़ैरवाज़िब तर्क कुछ सोचा वो
ठहरा आख़िर तो मर्द जात वो,
औरत से कमतर कैसे हो
ख़ुदा है, बेजवाब कैसे हो?
उसने कहा -
ग़र बराबरी जो होती
मर्द और औरत की पहचान कैसे होती?
फ़ासले की वज़ह कहाँ से मिलती ?
सब इंसान होते तो दुनिया कैसे चलती?
दुःख दर्द का एहसास कैसे होता?
विपरीत के आकर्षण का भान कैसे होता?
हे मूर्ख नारी, सुनो!
इसलिए कुछ औरत और कुछ आदमी बनाया
तभी तो चलायमान है ये सारी दुनिया!
मैंने भी आज जान लिया
ख़ुदा का तर्क मान लिया,
अपनी बेवकूफ़ी के सवालों से नाता तोड़ लिया
आज इस नाइंसाफी का राज़ जान लिया।
अब समझ आया कि ये नाइंसाफी क्यों
मेरे सभी सवाल नादान जज़्बाती क्यों,
क्योंकि ये जवाब ख़ुदा ने नहीं दिया था
ख़ुदारुपी पाषण-हृदयी मर्द जात ने दिया था।
इसीलिए मर्द पत्थर-दिल आदमी है
और औरत कमज़ोर-दिल इंसान है।
- जेन्नी शबनम (मार्च 8, 2010)
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर)
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naainsaafi kyon...
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khuda se rubaru puchha maine -
mard aur aurat ka ijaad kiya tumne
khud patthar mein baste ho
kya patthar ki kathorta nahin jante?
fir aisi naainsaafi kyon?
mard ko aadmi banaya
aur paashaan ka dil bhi laga diya,
aurat ko bas aurat banaya
sath hi dil mein jazbaat bhi bhar diya,
mard ke dil mein
zara-sa to jazbaat bhar diya hota!
aurat ke dil mein
zara-sa to patthar laga diya hota!
mard ban gaya paashaan-hridayee
bhala dard kaise ho?
aurat ho gayee jazbaati
bhala dard kaise na ho?
aakhir aisi naainsaafi kyon?
khuda bhi chaunk gaya
apni naainsaafi ko maan gaya,
fir gairwaazib tark kuchh socha wo
thahra aakhir to mard jaat wo,
aurat se kamtar kaise ho
khuda hai bejawaab kaise ho?
usne kaha -
gar baraabari jo hoti
mard aur aurat ki pahchaan kaise hoti?
faasle ki wazah kahan se milti?
sab insaan hote to duniya kaise chalti?
dukh dard ka ehsaas kaise hota?
wipreet ka aakarshan ka bhaan kaise hota?
hey murkh naari, suno!
isliye kuchh aurat aur kuchh aadmi banaaya
tabhi to chalaayemaan hai ye saari duniya!
maine bhi aaj jaan liya
khuda ka tark maan liya,
apni bewakufi ke sawaalon se naata tod liya
aaj is naainsaafi ka raaz jaan liya.
ab samajh aaya ki ye nainsaafi kyon
mere sabhi sawaal naadaan jazbaati kyon,
kyonki ye jawaab khuda ne nahin diya tha
khudaroopi paashan-hridayee mard jaat ne diya tha.
isiliye mard patthar-dil aadmi hai
aur aurat kamjor-dil insaan hai.
- Jenny Shabnam (8. 3. 2010)
(antarrashtriy mahila divas par)
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6 टिप्पणियां:
sawal zarooree hai
itne gahre nishkarsh ke saath khuda ke darbaar me mukadma......khuda khud hi gawah ban baitha, waah jenny ji
aise khyaal kari baar aaye par shabdon mein na baand paayi...aaj jab aapki rachna padhi to laga...hamari soch ho jaise...ab jab khuda hi partial hai to kya kiya jaaye
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
जिन्दा लोगों की तलाश!
मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=
सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
आपने अपने इस आर्टिकल में जेंडर के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दिया है और बड़े ही प्यार से लिखा भी है. आपको देखकर मैं ब्लॉगिंग शुरू किया है. आपके लेख से प्रभावित होकर मैंने मेल फीमेल से संबंधित एक लेख लिखा है. कृपया मेरे वेबसाइट विजिट करें. कोई कमी हो तो कमेंट करके जरूर बताइएगा.
धन्यवाद.
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