नए साल में मेरा चाँद
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चाँद के दीदार को हम तरस गए
अल्लाह! अमावास का अंत क्यों नहीं होता?
मुमकिन है नया साल
चाँद से रूबरू करा जाए।
- जेन्नी शबनम (6. 1. 2011)
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चाँद के दीदार को हम तरस गए
अल्लाह! अमावास का अंत क्यों नहीं होता?
मुमकिन है नया साल
चाँद से रूबरू करा जाए।
- जेन्नी शबनम (6. 1. 2011)
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10 टिप्पणियां:
aameen...
Regards,
Fani Raj
aameeen...
Naya saal mubaarak ho :-)
Regards
Fani Raj
aameen
बहुत ही सुन्दर शब्द ।
वाह , क्या ग़ज़ब बात कही है ।
बहुत सुन्दर ।
बहुत ही अच्छे एहसास के साथ लिखी गई है.... हर नज़्म बहुत ही सुंदर
ummid karte hain ham bhi...naye saal me 365 din punam ki raat ho...aur sirf jagmag karti raaat...:)
bahut khub...jenny di...
wah.choti si per behad khoobsurat.
वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर! नव वर्ष की शुभकामना!
नया साल लाए जीवन में चाँदनी
हर घड़ी आपकी हो मनभावनी ।
अधेरे कभी जीवन में न आएँ ।
जीवन की बगिया में फूल मुस्काएँ ।
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