सोमवार, 22 अगस्त 2011

274. दुनिया बहुत रुलाती है (क्षणिका)

दुनिया बहुत रुलाती है

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प्रेम की चाहत कभी कम नहीं होती
ज़िन्दगी बस दुनियादारी में कटती है
कमबख़्त ये दुनिया बहुत रुलाती है। 

- जेन्नी शबनम (21. 8. 2011 )
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8 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

duniya ... aur kya ker sakti hai

Unknown ने कहा…

रुलाती तो है मगर क्या खूबसूरत है ये दुनिया

vandana gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर

सहज साहित्य ने कहा…

इतनी छोटी कविता में इतनी बड़ी बात ! बहुत प्रभावशाली हैं ये पंक्तियाँ. आपका अभिव्यक्ति कौशल सराहनीय है जेन्नी जी!

Udan Tashtari ने कहा…

वाह!! उम्दा!!

Rachana ने कहा…

duniya ka kaam yahi hai
rachana

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपकी तीन पक्तियां मन को छू सी गयी । इन चंद अल्फाजों में आपने एक महाकाव्य का सृजन कर दिया है । कभी समय इजाजत दे तो मेरे पोस्ट पर भी आने की कोशिश करें । धन्यवाद ।

एक स्वतन्त्र नागरिक ने कहा…

कटु सत्य.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html