गुरुवार, 26 जुलाई 2012

358. साझी कविता (पुस्तक- 40)

साझी कविता

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साझी कविता, रचते-रचते 
ज़िन्दगी के रंग को, साझा देखना
साझी चाह है, या साझी ज़रूरत?
साझे सरोकार भी हो सकते हैं 
और साझे सपने भी, मसलन 
प्रेम, सुख, समाज, नैतिकता, पाप, दंड, भूख, आत्मविश्वास 
और ऐसे ही अनगिनत-से मसले, 
जवाब साझे तो न होंगे
क्योंकि सवाल अलग-अलग होते हैं
हमारे परिवेश से संबद्ध 
जो हमारी नसों को उमेठते हैं 
और जन्म लेती है साझी कविता,
कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िन्दगी जीना  
और कला में हम भी बहुत माहिर हैं
कविता से बाहर भी  
और ज़िन्दगी के अंदर भी!

- जेन्नी शबनम (26. 7. 2012)
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24 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िंदगी जीना
और कला में हम भी बहुत माहिर हैं
कविता से बाहर भी
और ज़िन्दगी के अंदर भी !

जी,जेन्नी जी.
वास्तव में बहुत माहिर हैं आप.

हम तो बस खुशी से तकते रहते हैं
आपकी अनुपम कला को, जो आप
हमसे साझा करती रहतीं है.

आभार.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िंदगी जीना
और कला में हम भी बहुत माहिर हैं
कविता से बाहर भी
और ज़िन्दगी के अंदर भी !,,,,

RECENT POST,,,इन्तजार,,,

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

'कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िंदगी जीना '
- कला में साझापन ?
नहीं , नहीं .वह है नितान्त वैयक्तिक,व्यक्त होने के बाद हाथ से निकल गई.
और ज़िन्दगी ऊपर से साझी ,भीतर से वैयक्तिक -अनुपात सबका अपना.
साझा किये बिना कहाँ गुज़र !

Vinay ने कहा…

बहुत ही सुंदर काव्य है

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तकनीक दृष्टा - ब्लागिंग की तकनीकि बातें

yashoda Agrawal ने कहा…

शनिवार 28/07/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

mridula pradhan ने कहा…

bahot achche......

सदा ने कहा…

कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िंदगी जीना
और कला में हम भी बहुत माहिर हैं
कविता से बाहर भी
और ज़िन्दगी के अंदर भी !
बिल्‍कुल सहमत हूँ आपकी इस बात से ... :) बेहतरीन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

बेनामी ने कहा…

bahot acchaa likhate ho aap

Ramakant Singh ने कहा…

साझा का सफ़र साझी की ज़िन्दगी
साझे का आलम ये ,साझे में ही कटेगी ..

sometimes i find my self to comment on such nice lines.

Ramakant Singh ने कहा…

साझा का सफ़र साझी की ज़िन्दगी
साझे का आलम ये ,साझे में ही कटेगी ..

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

sundar rachna . mere blog aagman par dhanywad. sneh banaye rakhe

Rajput ने कहा…

साझे सरोकार भी हो सकते हैं
और साझे सपने भी...

खुबसूरत शब्दों में पिरोई गई रचना .

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

क्या खूब....!!
सुन्दर रचना...
सादर.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कविता से बाहर भी
और ज़िन्दगी के अंदर भी !

Kya baat.... Bahut sunder

amit kumar srivastava ने कहा…

हाँ ! माहिर तो हैं आप , माशाल्लाह |

Asha Lata Saxena ने कहा…

कविता लिखना एक कला है इस में कोई शक की गुंजाइश नहीं |कभी मेरे ब्लॉग पर भी आये अच्छा लगेगा |
आशा

Kailash Sharma ने कहा…

कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िंदगी जीना
और कला में हम भी बहुत माहिर हैं
कविता से बाहर भी
और ज़िन्दगी के अंदर भी !

....बहुत सुन्दर और गहन अभिव्यक्ति..

विभूति" ने कहा…

कविता लिखना एक कला है
जैसे कि ज़िंदगी जीना
और कला में हम भी बहुत माहिर हैं
कविता से बाहर भी
और ज़िन्दगी के अंदर भी !,,,,sab hi kuch likh diya aapne..... behtreen.....

Onkar ने कहा…

वाह, बहुत खूब

Poonam Agrawal ने कहा…

Aapki sabhi rachnaye padhti aayi hun ... harek me ek nayi baat ...ek naya sach ... kaise likh leti hai aap itna sab kuch ... God bless !!!!!

kshama ने कहा…

Zindagee jeena waqayi ek kala hai!

virendra sharma ने कहा…

बहुत खूब शबनम जी क्या अंदाज़े बयाँ हैं आपके .

Bharat Bhushan ने कहा…

समाज साझा है, व्यक्ति साझा है तो उनका काव्य भी साझा है. कविता के लिए जीवन और अंतःकरण साझा है. आपकी कविता इस बात को रेखांकित करती है. सुंदर कविता.

बेनामी ने कहा…

वाह