मन किया
आज फिर से
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तुम्हें जी लेने का मन किया
तुम्हारे लम्स के दायरे में
सिमट जाने का मन किया
तुम्हारी यादों के कुछ हसीन पल
चुन-चुनकर
मुट्ठी में भर लेने का मन किया
जिन राहों से हम गुज़रे थे
साथ-साथ कभी
फिर से गुज़र जाने का मन किया
शबनमी कतरे सुलगते रहे रात भर
जिस्म की सरहदों के पार जाने का मन किया
पोर-पोर तुम्हें पी लेने का मन किया
आज फिर से
तुम्हें जी लेने का मन किया।
- जेन्नी शबनम (4. 8. 2012)
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21 टिप्पणियां:
दिल को छू जाने वाली अभिव्यक्ति
ये मन की बातें हमें सुनते रहनी चाहिए।
तुम्हें जी लेने का मन किया ! dil ko chu gayi panktiya.....
सुन्दर रचना... वाह!
सादर.
Kaash....ham jism kee haden paar kar pate! Behad sundar rachana!
वाह वाह....
बहुत प्यारी रचना...........
जिन राहों से हम गुजरे थे
साथ-साथ कभी
फिर से गुजर जाने का मन किया...
इतनी सुन्दर रूमानियत पढ़े बड़ा वक्त हुआ...
अनु
bahut hi sundar abhivyakti
डॉ जेन्नी साहिबा नमस्कार बहुत ही खुबसूरत चाहत . आपके सम्मान में पोस्ट पर अंकित दो लाइन समर्पित करता हूँ आपके इस पोस्ट पर
आज फिर जीने की तम्मना है , आज फिर मरने का इरादा है .
कभी कभी पुराने लम्हों को जी जाने का मन कर जाता है...अच्छी रचना है|
बहुत खूब ... किसी को जी लेने का मन होना ... जीवन की सबसे बड़ी नेमत है ... नर्म सा एहसास लिए भावुक रचना ...
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।
bhawpoorn.....
मन क्या क्या करता है
मन ही जाने
पर आपकी इस प्रस्तुति को
बार बार पढ़ने का मन किया.
सुन्दर प्यारी मनमोहक प्रस्तुति.
Bahut sundar kavita. Bar bar padhne ka mann kiya...
These lines are poetic brilliance Ma'am,
"शबनमी कतरे सुलगते रहे रात भर
जिस्म की सरहदों के पार जाने का मन किया "
Thanks for such a beautiful poem:)
देख लो आज हमारा भी तुम से मुइलने का मन किया ,कुछ बात करने का मन किया तो चले आये। बहुत सुन्दर लग रही हो। आशीर्वाद। बहुत सुन्दर कविता है।
वाह बहुत खूब...
वाह!
तुम्हें जी लेने का मन किया...बहुत ही सुंदर
बहुत सुन्दर ..मन को छू गई..
अपने मन की बात सुन लेने से भी मन हल्का हो जाता है. खूबसूरत कविता.
शबनमी कतरे सुलगते रहे रात भर
जिस्म की सरहदों के पार जाने का मन किया
...लाज़वाब ! मन को छू जाती भावमयी अभिव्यक्ति..
Ye bhi sundar rachna..!!
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