प्रीत
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1.
प्रीत की डोरी
ख़ुद ही थी जो बाँधी
ख़ुद ही तोड़ी।
2.
प्रीत रुलाए
मन को भरमाए
पर टूटे न।
3.
1.
प्रीत की डोरी
ख़ुद ही थी जो बाँधी
ख़ुद ही तोड़ी।
2.
प्रीत रुलाए
मन को भरमाए
पर टूटे न।
3.
प्रीत की राह
बस काँटे ही काँटे
पर चुभें न।
4.
प्रीत निराली
सूरज-सी चमके
कभी न ऊबे।
5.
प्रीत की भाषा,
उसकी परिभाषा
प्रीत ही जाने।
6.
प्रीत औघड़
जिसपे मंत्र फूँके
वह न बचे।
7.
प्रीत उपजे
जाने ये कैसी माटी
खाद न पानी ।
बस काँटे ही काँटे
पर चुभें न।
4.
प्रीत निराली
सूरज-सी चमके
कभी न ऊबे।
5.
प्रीत की भाषा,
उसकी परिभाषा
प्रीत ही जाने।
6.
प्रीत औघड़
जिसपे मंत्र फूँके
वह न बचे।
7.
प्रीत उपजे
जाने ये कैसी माटी
खाद न पानी ।
- जेन्नी शबनम (8. 12. 2013)
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11 टिप्पणियां:
nice haiku
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (19-12-13) को टेस्ट - दिल्ली और जोहांसबर्ग का ( चर्चा - 1466 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रीत निराली
सूरज-सी चमके
कभी न ऊबे ।
बहुत सुंदर हाइकु जेन्नी जी ...!!सभी हाइकु भावपूर्ण ।
Great lines with deep emotons
bahut hi sundar..
preet ke ptyek rang me sundar haiku..
:-)
प्रीत के कांटे चुभते हैं पर दर्द नहीं होता ...
सभी हाइकू प्रीत के रंग में रंगे ...
अति..अति सुन्दर है ये प्रीत..
प्रीत पर बढ़िया हाइकु
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)
बहुत ही उम्दा,प्रभावी प्रस्तुति...!
RECENT POST -: एक बूँद ओस की.
सभी बहुत बढिया हैं..
वाह जेन्नी शबनम जी .. प्रीत के अनोखे रंगों कि छटा बिखेर दी आपने तो .. बहुत खुबसूरत !
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