सोमवार, 23 दिसंबर 2013

431. मन (10 हाइकु) पुस्तक 49,50

मन 

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1.
मन में बसी
धूप सीली-सीली-सी
ठंडी-ठंडी सी।

2.
भटका मन
सवालों का जंगल
सब है मौन।

3.
शाख से टूटे
उदासी के ये फूल
मन में गिरे।

4.
बता सबब
अपने खिलने का,
ओ मेरे मन

5.
मन के भाव
मन में ही रहते
किसे कहते?

6.
मन पे छाया
यादों का घना साया,
ख़ूब सताया।

7.
कच्चा-सा मन
जाने कैसे है जला
अधपका-सा।

8.
सोच का मेला
ये मन अलबेला
रातों जागता।

9.
यादों का पंछी
डाल-डाल फुदके
मन बौराए।

10.
धीरज पगी
मादक-सी मुस्कान
मन को खींचे

- जेन्नी शबनम (13. 12. 2013)
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10 टिप्‍पणियां:

Ramakant Singh ने कहा…

So nice heart touching

Anupama Tripathi ने कहा…

मन में बसी
धूप सीली-सीली-सी
ठंडी-ठंडी सी

बहुत सुंदर और भावपूर्ण भी ....!!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही अच्छे और बेहतरीन हाईकू ...
:-)

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २४/१२/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी,आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।

tbsingh ने कहा…

nice lines

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत शानदार |
आशा

Rajput ने कहा…

एक से एक
लाजवाब हाइकु
लिखे आपने

बहुत उम्दा हाइकु

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर !मन के भिन्न भिन्न पहलू पर आप ने प्रकाश डाला !
नई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )

Ramakant Singh ने कहा…

अपनी कहानी खुली खुली

tbsingh ने कहा…

sach men sawal kai hain jinke jawab hame talashane hain . sunder rachana