घर आ जा न
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1.
बरसा नहीं भटक-भटकके
थका बादल।
2.
घूँघट काढ़े
घटा में छुपकर
सूर्य शर्माए।
3.
बादल फटा
रुष्ट इंद्र देवता
खेत सुलगा।
रुष्ट इंद्र देवता
खेत सुलगा।
4.
घूमने चले
बादलों के रथ पे
सूर्य देवता।
बादलों के रथ पे
सूर्य देवता।
5.
अम्बर रोया
दूब भीगती रही
उफ़ न बोली।
उफ़ न बोली।
6.
गुर्राता मेघ
कड़कता ही रहा
नहीं बरसा।
कड़कता ही रहा
नहीं बरसा।
7.
प्रभाती गाता
मंत्र गुनगुनाता
मौसम आता।
मंत्र गुनगुनाता
मौसम आता।
8.
पानी-पानी रे
क्यों बना तू जोगी रे
घर आ जा न।
- जेन्नी शबनम (3. 7. 2014)
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8 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर हाइकू...
आपकी लिखी रचना बुधवार 03 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुंदर हाईकू ।
sundar lage sare ....
बहुत सुन्दर हाइकु...
कभी कहर बरपाती कभी रूठ कर दूर जाती
क्यूं रे बारिश,
सुन भी ले हमारी गुजारिश ।
बारिश न आने के भी हाइकू पर सुंदर।
लाजवाब हाइकू हैं सभी ... बरखा का एहसास लिए ...
लाजवाब हाइकू
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