कविता
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1.
कण-कण में
कविता सँवरती
संस्कृति जीती।
2.
अकथ्य भाव
कविता पनपती
खुलके जीती।
3.
अक्सर रोती
ग़ैरों का दर्द जीती,
कविता-नारी।
4.
अच्छी या बुरी,
न करो आकलन
मैं हूँ कविता।
5.
ख़ुद से बात
कविता का संवाद
समझो बात।
6.
शब्दों में जीती,
अक्सर ही कविता
लाचार होती।
7.
कविता गूँजी,
ख़बर है सुनाती
शोर मचाती।
8.
मन पे भारी
समय की पलटी,
कविता टूटी।
9.
15.
भाव अर्जित
शोर मचाती।
8.
मन पे भारी
समय की पलटी,
कविता टूटी।
9.
कविता देती
गूँज प्रतिरोध की
जन-मन में।
10.
कविता देती
10.
कविता देती
सवालों के जवाब,
मन में उठे।
11.
ख़ुद में जीती
11.
ख़ुद में जीती
ख़ुद से ही हारती,
कविता गूँगी।
12.
12.
छाप छोड़ती,
कविता जो गाती
अंतर्मन में।
13.
कविता रोती,
13.
कविता रोती,
पूरी कर अपेक्षा
पाती उपेक्षा।
14.
रोशनी देती
14.
रोशनी देती
कविता चमकती
सूर्य-सी तेज़।
15.
भाव अर्जित
भाषा होती सर्जित
कविता-रूप।
16.
अंतःकरण
16.
अंतःकरण
ज्वालामुखी उगले
कविता लावा।
17.
मन की पीर
बस कविता जाने,
शब्दों में बहे।
18.
ख़ाक छानती
मन में है झाँकती
कविता आती।
19.
शूल चुभाती
नाज़ुक-सी कविता,
क्रोधित होती।
20.
आशा बँधाती
जब निराशा छाती,
कविता सखी।
- जेन्नी शबनम (22. 8. 2014)
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8 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - मंगलवार- 21/10/2014 को
पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के - चर्चा मंच पर ।।
सभी हाइकू कविता को जीते हैं ...
बहुत ही सुंदर ... आपको दीपावली की हार्दिक मंगल कामनाएं ...
भं कविता विषयक ये हाइकु कविता की परिभाषा ही नहीं बल्कि कविता के पूरे जीवन का लेखा जोखा हैं। आपने कविता के उद्देश्य को बखूबी व्याख्यायित कर दिया। आपकी लेखनी इसी तरह का सर्जन करके ऊंचाइयों को छूती रहे। रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
Sabhi haiku bahut sunder....dhanteras va deewali ki shubhkamnaayein !!
सुंदर, सार्थक और सशक्त हाइकु...दीपोत्सव की शुभकामनाएँ...
ख़ुद से बात
कविता का संवाद
समझो बात ।
वाह !
सार्थक संदेशयुक्त रचनाएं।
दीपावली की अशेष शुभकामनाएं !
कविता के कितने रूप । सुंदर प्रस्तुति।
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