नूतन साल
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1.
वक़्त सरका
लम्हे भर को रुका
यादें दे गया।
2.
फूल खिलेंगे
तिथियों के बाग़ में
ख़ुशबू देंगे।
3.
फुर्र से उड़ा
थका पुराना साल
नूतन आया।
4.
एक भी लम्हा
हाथ में न ठहरा
बीते साल का।
5.
मुझ-सा तू भी
हो जाएगा अतीत,
ओ नया साल।
6.
साल यूँ बीता
मानो अपना कोई
हमसे रूठा।
7.
हँसो या रोओ
बीता पूरा बरस
नए को देखो।
- जेन्नी शबनम (1. 1. 2015)
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7 टिप्पणियां:
हँसो या रोओ
बीता पूरा बरस
नए को देखो
....बिलकुल सही ..बीती ताहि बिसार दे आगे के सुधि ले ...
आपको भी नए साल 2015 की बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
नूतन वर्षाभिनन्दन.....आपकी लिखी रचना शनिवार 03 जनवरी 2015 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (03-01-2015) को "नया साल कुछ नये सवाल" (चर्चा-1847) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
खट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सार्थक रचना
बेहद खूबसूरत हाइकू।
बड़े अच्छे हाइकू हैं...नववर्ष की बधाई और शुभकामनाएं..
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