शुभ-शुभ
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हज़ारों उपाय, मन्नतें, टोटके
अपनों ने किए ताकि अशुभ हो
मगर ग़ैरों की बलाएँ, परायों की शुभकामनाएँ
निःसंदेह कहीं तो जाकर लगती हैं
वर्ना जीवन में शुभ-शुभ कहाँ से होता।
वर्ना जीवन में शुभ-शुभ कहाँ से होता।
- जेन्नी शबनम (15. 1. 2015)
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6 टिप्पणियां:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (16.01.2015) को "अजनबी देश" (चर्चा अंक-1860)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
अच्छा कताख है ... किसी के कुछ करने से कुछ नहीं होता .. अपना मन साफ़ हो तो ...
मकर सक्रांति की हार्दिक मंगलकामनाएं!
सुंदर प्रभावी रचना...मंगलकामनाएँ
सुन्दर प्रस्तुति
संवेदनशील पंक्तियाँ.....
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