गुरुवार, 15 जनवरी 2015

482. शुभ-शुभ (क्षणिका)

शुभ-शुभ

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हज़ारों उपाय, मन्नतें, टोटके 
अपनों ने किए ताकि अशुभ हो   
मगर ग़ैरों की बलाएँ, परायों की शुभकामनाएँ  
निःसंदेह कहीं तो जाकर लगती हैं 
वर्ना जीवन में शुभ-शुभ कहाँ से होता
।  

- जेन्नी शबनम (15. 1. 2015) 
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6 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (16.01.2015) को "अजनबी देश" (चर्चा अंक-1860)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अच्छा कताख है ... किसी के कुछ करने से कुछ नहीं होता .. अपना मन साफ़ हो तो ...

कविता रावत ने कहा…

मकर सक्रांति की हार्दिक मंगलकामनाएं!

Himkar Shyam ने कहा…

सुंदर प्रभावी रचना...मंगलकामनाएँ

Onkar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

संजय भास्‍कर ने कहा…

संवेदनशील पंक्तियाँ.....