रविवार, 25 अक्तूबर 2015

499. नियति-चक्र (10 हाइकु) पुस्तक 75

नियति-चक्र 

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1. 
अपनी सुने    
नियति मग़रूर,  
मैं मज़बूर    

2. 
बदनीयत   
नियति की नीयत,    
जाल बिछाती   

3. 
स्वाँग करती    
साथी बन खेलती,    
धूर्त नियति    

4. 
नही सुनती  
करबद्ध विनती,  
ज़िद्दी नियति  

5. 
कैसे परखें,     
नियति का जो लेखा     
है अनदेखा  

6. 
खेल दिखाती    
मनमर्ज़ी करती     
दम्भी नियति  

7.   
दुःख देकर    
अट्टहास करती  
क्रोधी नियती   

8.   
नियती-चक्र   
सुख दुःख का वक्र,               
हम हैं मौन  

9. 
कैसी नियती?    
चुप भाग्य विधाता,       
कौन अपना?  

10.  
जादू की छड़ी  
नियती ने घुमाई  
खुशियाँ आई!  

- जेन्नी शबनम (25. 10. 2015)
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8 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 27 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

बेनामी ने कहा…

बढ़िया

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सुन्दर हाइकू ! नियति है विचित्र
सुनो एक राजा की कहानी ! (काल्पनिक )

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बढ़िया हाइकू।

रचना दीक्षित ने कहा…

नियति की कृपाद्रष्टि बनी रहनी चाहिए. भावपूर्ण हाईकू.

Jyoti khare ने कहा…

नही सुनती
करबद्ध विनती,
ज़िद्दी नियति !-----
जीवन की नियति ही कुछ ऐसी है---- इस संदर्भ में लिखे अदभुत हाइकु
वाह बहुत सुंदर

आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी पधारे
सादर

Onkar ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति

Asha Joglekar ने कहा…

नियती का खेल,
कहाँ कोई मेल
अपने सपने से।