ज़िद्दी मन
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ज़िद्दी मन ज़िद करता है
जो नहीं मिलता वही चाहता है
तारों से भी दूर मंज़िल ढूँढता है
यायावर-सा भटकता है
ज़ीस्त में जंग ही जंग पर सुकून की बाट जोहता है
ये मेरा ज़िद्दी मन अल्फ़ाज़ का बंदी मन
ख़ामोशी ओढ़के जग को ख़ुदा हाफ़िज़ कहता है
पर्वत-सी ज़िद ठाने, कतरा-कतरा ढहता है
पल-पल मरता है, पर जीने की ज़िद करता है।
- जेन्नी शबनम (18. 3. 2018)
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8 टिप्पणियां:
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (20-03-2017) को "ख़ार से दामन बचाना चाहिए" (चर्चा अंक-2915) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ये ज़िद्दी मन ज़िद करता है।
..........पर जीने की ज़िद करता है
बहत ही सुन्दर। मन की गति मन ही जाने।
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आपकी रचना लिंक की गई इसका अर्थ है कि आपकी रचना 'रचनाधर्मिता' के उन सभी मानदण्डों को पूर्ण करती है जिससे साहित्यसमाज और पल्लवित व पुष्पित हो रहा है। अतः आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
वाहःह
बेहतरीन
मन की इस जिद्द को हम ही तो परवान चढाते हैं ...
पर अगर जिद्द न होगी तो स्वाभिनाम कहाँ होगा ये भी सच है ...
गहरी रचना ....
बहुत बढ़िया
सुंदर रचना ...
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