परम्परा
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मन के अवसाद को
चूड़ियों की खनक, बिन्दी के आकार
होठों की लाली और मुस्कुराहट में दफ़नाकर
खिलखिलाकर दूर करना परम्परा है,
स्त्रियाँ परम्परा बड़े मन से निभाती हैं।
- जेन्नी शबनम (1. 9. 2019)
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2 टिप्पणियां:
जी बिल्कुल, खुद ही निभाती है ,और मन ही मन शिकायत भी रखती हैं!
सुंदर पंक्तियाँ
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