शनिवार, 14 मार्च 2020

649. रंगीली होली (होली पर 9 हाइकु) पुस्तक 113, 114

रंगीली होली 

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1.  
होली की टोली  
बैर-भाव बिसरे  
रंगीली होली।  

2.  
रंगों की मस्ती  
चेहरे भोले-भाले   
रंग हँसते।  

3.  
रंगों की वर्षा  
खिले जावा कुसुम  
घर-घर में।  

4.  
उड़ती आई  
मदमस्त फुहार  
रंग गुलाल।  

5.  
पिया बिदेस  
रंगों का ये गुबार  
जोगिया मन।  

6.  
निष्पक्ष रंग  
मिटाए भेद-भाव  
रंग दे मन।  

7.  
सजी सँवरी  
पिचकारी रँगीली  
होली आई रे।  

8.  
फीके से रिश्ते  
रंगों की बरसात  
रंग दे मन।  

9.  
हँसी ठिठोली  
रौनक-ही-रौनक  
होली हुलसी।  

- जेन्नी शबनम (10. 3. 2020)  
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5 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइकु

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (16-03-2020) को 'दंभ के आगे कुछ नहीं दंभ के पीछे कुछ नहीं' (चर्चा अंक 3642) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव

Kamini Sinha ने कहा…

बहुत ही सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको

Onkar ने कहा…

बढ़िया हाइकु

Onkar ने कहा…

बढ़िया हाइकु