फूल यूँ खिले
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1.
फूल यूँ खिले,
गलबहियाँ डाले
बैठे हों बच्चे।
2.
अम्बर रोया,
ज्यों बच्चे से छिना
प्यारा खिलौना।
3.
सूरज ने की
किरणों की बिदाई
शाम जो आई।
4.
फसलें हँसी,
ज्यों धरा ने पहना
ढेरों गहना।
5.
नाम तुम्हारा
मन की रेत पर
गहरा लिखा।
6.
देख गगन
चिहुँकती है धरा
हो कोई सगा।
7.
रूठा है सूर्य
कैकेयी-सा, जा बैठा
कोप-भवन।
8.
मन झरना
कल-कल बहता
पाके अपना।
9.
मिश्री-सी बोली
बहुत ही मँहगी,
ताले में बंद।
10.
चुभता रहा
खुरदरा-सा रिश्ता
फिर भी जिया।
- जेन्नी शबनम (27. 1. 2020)
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6 टिप्पणियां:
सभी हाइकु बहुत उत्तम हैॆं।
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (13-04-2020) को 'नभ डेरा कोजागर का' (चर्चा अंक 3670) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर हाइकु
वाह!!@
बहुत सुन्दर हायकु...।
वाह!!!
बहुत सुन्दर हायकु...।
शानदार प्रस्तुति जेन्नी जी।
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