गुरुवार, 7 जनवरी 2021

707. कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर (पुस्तक- नवधा)

कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर 

*** 

कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर   
जोखिमों की लम्बी क़तार को   
बच-बचाकर लाँघ जाना   
क्या इतना आसान है   
बिना लहूलुहान पार करना? 
  
हर एक लम्हा संघर्ष है   
क़दम-क़दम पर द्वेष है   
यक़ीन करना बेहद कठिन है   
विश्वास पल-पल दम तोड़ता है   
सरे-आम लुट जाते हैं सपने   
ग़ैरों से नहीं अपनों से मिलते हैं धोखे   
कोई कैसे कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आए?
   
कम्फ़र्ट ज़ोन की सुविधाएँ   
नि:संदेह कमज़ोर बनाती हैं   
अवरोध पैदा करती हैं   
मन के विस्तार को जकड़ती हैं   
संभावनाओं को रोकती हैं। 
  
परन्तु कम्फ़र्ट ज़ोन के बाहर   
एक विस्तृत संसार है   
जहाँ संभावनाओं के ढेरों द्वार हैं   
कल्पनाओं की सीढ़ियाँ हैं   
उत्कर्ष पर पहुँचने के रास्ते हैं। 
  
चुनने की समझदारी विकसित कर   
शह-मात से निडर होकर   
चलनी है हर बाज़ी   
विफलता मिले तो रुकना नहीं   
ठोकरों से डरना नहीं   
बेख़ौफ़ चलते जाना है   
रास्ता अनजान है मगर   
संसार को परखना है   
ख़ुद को समझना है   
ताकि रास्ता सुगम बने  
कामनाओं की फुलवारी से   
मनमाफ़िक फूल चुनना है   
जो जीवन को सुगन्धित करे।
   
अब वक़्त आ गया है   
कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आकर   
दुनिया को अपनी शर्तों से   
मुट्ठी में समेटकर   
जीवन में ख़ुशबू भरना है   
कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आना है। 
  
याद रहे एक कम्फ़र्ट ज़ोन से  
निकल जाओ जब   
दूसरा कम्फ़र्ट ज़ोन स्वयं बन जाता है   
पर किसी कम्फ़र्ट ज़ोन को   
स्थायी मत होने दो। 

-जेन्नी शबनम (7.1.2021)
(पुत्री की 21वीं जन्मतिथि पर)
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8 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सटीक

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

प्रेरक गद्य गीत।

सधु चन्द्र ने कहा…

किसी कम्फ़र्ट ज़ोन को
स्थाई मत होने दो।
सहमत।
प्रेरक रचना।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०९-०१-२०२१) को 'कुछ देर ठहर के देखेंगे ' (चर्चा अंक-३९४१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया

Sudha Devrani ने कहा…

कम्फ़र्ट ज़ोन की सुविधाएँ
नि:संदेह
कमज़ोर बनाती हैं
अवरोध पैदा करती हैं
मन के विस्तार को जकड़ती हैं
संभावनाओं को रोकती हैं।
परन्तु कम्फ़र्ट ज़ोन के बाहर
एक विस्तृत संसार है
जहाँ संभावनाओं के ढेरों द्वार हैं
बस सम्भल कर कदम बढ़ायें ....
वाह!!!!
बहुत ही शिक्षाप्रद और प्रेरक सीख दी आपने बेटी को 21वें जन्मदिन पर....
कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने का वक्त है ये उम्र
सही कहा कई कम्फर्ट जोन बनते रहते हैं जिन्दगी में बस किसी को भी स्थाई मत होने दो अगर अपने बलबूते खड़े रहना है तो...
वाह!!!
लाजवाब सृजन।

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत अच्छी प्रेरणादायक कविता

पुत्री के जन्मदिन पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं ❤️🌺🌹🌺❤️

Madhulika Patel ने कहा…

यकीन करना बेहद कठिन है
विश्वास पल-पल दम तोड़ता है
सरेआम लुट जाते हैं सपने
ग़ैरों से नहीं अपनों से मिलते हैं धोखे
कोई कैसे कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आए?
कम्फ़र्ट ज़ोन की सुविधाएँ ,,,,,,।।बहुत सटीक रचना,बिटिया को जन्मदिन पर बहुत सारी शुभकामनाएँ ।