मंगलवार, 3 जनवरी 2023

755. नार्सिसिस्ट (पुस्तक- नवधा)

नार्सिसिस्ट 

***  
   
उसका प्यार उसकी नफ़रत   
उसका आरोप उसका प्रत्यारोप   
उसकी प्रताड़ना, शिकायत   
उसकी दया, क्षमा   
उसका परिहास, उपहास   
उसके बन्धन, क्रन्दन   
उसका सत्य, झूठ 
कुछ समझ नहीं आता।
  
यह कैसा चरित्र है   
जो दूसरों के आँसू में हँसी तलाशता है   
दूसरों को नीचा गिराकर दम्भ से हुँकारता है।
    
वह मानता है-   
वह सर्वश्रेष्ठ है 
ईश्वर की संतान है   
चाँद-तारों धरती-आकाश   
पूरे विश्व की पहचान है   
उससे बेहतर कोई नहीं   
अगर उसे कोई बेहतर लग गया   
तो उसके सम्मान पर वह इतनी चोट करेगा   
कि दूसरा आत्मसमर्पण कर दे   
या आत्मविश्वास खो दे   
या हीनता का शिकार होकर    
उसकी तरह बीमार हो जाए   
या पर-कटे पंछी की तरह छटपटाए   
और इन सबसे उसकी बाँछें खिल जाती हैं   
उसे मिलती है बेइंतिहा ख़ुशी। 
  
यह आत्ममुग्धता क्या है?   
क्या इसका कोई ईलाज है?   
शायद नहीं! 

नार्सिसिस्ट पर दया की जाए   
या जान बचाकर पलायन करना उचित है?
   
दिमाग शून्य हो जाता है   
यह कैसा चक्रव्यूह है   
जिससे बाहर आने की राहें तो हैं   
मगर इतनी कँटीली कि तन-मन दोनों छलनी होंगे   
न जीवन जीते बनेगा, न मरने की हिम्मत बचेगी। 
   
या अल्लाह!   
क्यों बनाता है तू ऐसा मानव?   
ये नार्सिसिस्ट   
न किसी से प्रेम कर सकते   
न किसी की हत्या   
जीवन भर दूसरों को तड़पाकर   
आनन्दित होते हैं।
   
मुक्ति का कोई उपाय नहीं। 

-जेन्नी शबनम (1. 1. 2023)
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6 टिप्‍पणियां:

Pammi singh'tripti' ने कहा…


आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 4 जनवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना

रेणु ने कहा…

जो किसी आँसू में अपनी खुशी तलाशते हैं , इस तरह के नकारात्मक प्राणी दूसरों के लिए वहुत बड़ा खतरा है!भगवान ने इस तरह के प्राणी बना कर गल्ती की पर इनकी ज्यादतियों को सहना एक अपराध है।सार्थक अभिव्यक्ति के लिए बधाई स्वीकारें 🙏

Onkar ने कहा…

बहुत खूब

Sudha Devrani ने कहा…

सही में ऊपर वाला बनाता ही क्यों होगा ऐसा इंसान....।
बहुत सटीक एवं लाजवाब सृजन।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर रचना