गुरुवार, 13 मार्च 2025

790. होली (होली पर 20 हाइकु)

होली

(होली पर 20 हाइकु)


1.
भाँग पीकर
पुआ-पूड़ी खाकर
होली अघाई।

2.
होली भौजाई
लगाकर गुलाल
ख़ूब लजाई।

3.
धर्म व जाति
भेद नहीं करती
भोली है होली।

4.
होलिका जली
जलकर दिखाई
कर्म का पथ।

5.
दे बलिदान
होलिका ने सिखाया
सत्य का ज्ञान।

6.
देकर प्राण
होलिका ने बचाया 
धर्म का मान।

7.
पगली हवा
रंग उड़ाके बोली-
गाओ फगुआ।

8.
उड़ाओ रंग
फगुआ को भाता है
गुलाबी रंग।

9.
रँगी बावरी
साँवरे के रंग में
खेलती होली।

10.
उड़ा गुलाल
पिया की प्यारी
हुई है लाल।

11.
भेद व द्वेष
मन से है मिटाती
होली सन्मार्गी।

12.
आकर खेलो
अतीत को भूलके
रंगीली होली।

13.
अब तो भूलो
ग़लतफ़हमियाँ
होली खेलो न!

14.
मन भी रँगा
फगुआ के फाग से
मन है बँधा।

15.
रंग लेकर
चली हवा बसन्ती
धरा रंगती।

16.
सब भौजाई
अपनी या पराई
होली है भाई।

17.
हँसी-ठिठोली
मोहल्ले की भौजाई
सबको भाई।

18.
लगाओ रंग
करो ख़ूब धमाल
होली है यार।

19.
फाग का रंग  
अकेला यह मन  
किसे लगाऊँ?

20.
आई है होली   
किससे बाटूँ पीर 
मन अधीर। 

जेन्नी शबनम (13.3.25)
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