गुरुवार, 14 जनवरी 2010

115. दिल में चाँद इक उतरता है कोई (तुकांत) / dil mein chaand ik utarta hai koi (tukaant)

दिल में चाँद इक उतरता है कोई

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हर्फ़-हर्फ़ ज़िन्दगी लिखता है कोई
ख़्वाब हसीन रोज़ बुनता है कोई 

उसकी ज़िन्दगी में शामिल नहीं
पर सपनों में सदा रहता है कोई  

आज फिर कोई याद आया बहुत
दिल ही दिल में तड़पता है कोई  

कैसे कह दें कि वो है अजनबी
धड़कनों में जब बसता है कोई  

हो बस इक मुकम्मल मुलाक़ात
वक़्त से मिन्नत करता है कोई  

सफ़र की दास्तान अब न पूछो
ज़िन्दगी किस्तों में जीता है कोई  

बहुत की 'शब' ने चाँदनी की बातें
दिल में चाँद इक उतरता है कोई  

- जेन्नी शबनम (14. 1. 2010)
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dil mein chaand ik utarta hai koi

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harf-harf zindagi likhta hai koi
khwaab haseen roz bunta hai koi.

uski zindgi mein shaamil nahin
par sapnon mein sada rahta hai koi.

aaj fir koi yaad aaya bahut
dil hin dil mein tadapta hai koi.

kaise kah dein ki wo hai ajnabi
dhadkanon mein jab basta hai koi.

ho bas ik mukammal mulaakaat
waqt se minnat karta hai koi.

safar ki daastaan ab na puchho
zindagi kiston mein jita hai koi.

bahut kee 'shab' ne chaandni kee baatein
dil mein chaand ik utarta hai koi.

- Jenny Shabnam (14. 1. 2010)
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5 टिप्‍पणियां:

डॉ .अनुराग ने कहा…

goya ..dilchasp.....khas taur se dil me chand ik utarta hai koi....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दिल में जो चाँद उतर जाये वह अजनबी नहीं हो सकता ....

बेनामी ने कहा…

हो बस इक मुकम्मल मुलाक़ात
वक़्त से मिन्नत करता है कोई !
आमीन

deep ने कहा…

amrita pritamknhu aapo to koi atishyoktito nhi hogi..

खोरेन्द्र ने कहा…

कैसे कह दें कि वो है अजनबी
धड़कनों में जब बसता है कोई

bahut sundar