सोमवार, 27 दिसंबर 2010

197. तुम्हारी आँखों से देखूँ दुनिया

तुम्हारी आँखों से देखूँ दुनिया

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चाह थी मेरी
तीन पल में सिमट जाए दूरियाँ
हसरत थी
तुम्हारी आँखों से देखूँ दुनिया 

बाहें थाम, चल पड़ी साथ
जीने को खुशियाँ
बंद सपने मचलने लगे
मानो खिल गई, सपनों की बगिया 

शिलाओं के झुरमुट में
अवशेषों की गवाही
और थाम ली तुमने बहियाँ
जी उठी मैं फिर से सनम
जैसे तुम्हारी साँसों से
जीती हों वादियाँ 

उन अवशेषों में छोड़ आए हम
अपनी भी कुछ निशानियाँ
जहाँ लिखी थी इश्क़ की इबारत
वहाँ हमने भी रची कहानियाँ 

मिलेंगे फिर कभी
ग़र ख़्वाब तुम सजाओ
रहेंगी न फिर मेरी वीरानियाँ
बिन कहे ही तय हुआ
साथ चलेंगे हम
यूँ ही जीएँगे सदियाँ 

- जेन्नी शबनम (18. 12. 2010)
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13 टिप्‍पणियां:

केवल राम ने कहा…

मिलेंगे फिर कभी
ग़र ख्व़ाब तुम सजाओ
रहेंगी न फिर मेरी वीरानियाँ,
xxxxxxxxxxxxxxxxxxx
यह आशा मन में हमेशा जगी रहे ...शुक्रिया

केवल राम ने कहा…

बहुत सुंदर कविता काबिल -ए-तारीफ ..आभार

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

jenny di....

pyar se atirek...:)
ab iss rachna ke liye kya kahun
sabdo ki kami ho rahi hai...!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

उन अवशेषों में
छोड़ आये हम
अपनी भी कुछ निशानियाँ,
जहाँ लिखी थी इश्क की इबारत
वहाँ हमने भी
रची कहानियाँ !kai khwaab aankhon se gujar gaye

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


http://charchamanch.uchcharan.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर ...ख्वाब रहने चाहियें ..उम्मीद रहती है

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

मिलेंगे फिर कभी
ग़र ख्व़ाब तुम सजाओ
रहेंगी न फिर मेरी वीरानियाँ,
सुंदर प्रस्तुति. जेन्नी जी, सुंदर एहसाह के साथ प्यारी सी कविता..
फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी

सदा ने कहा…

मिलेंगे फिर कभी
ग़र ख्व़ाब तुम सजाओ ..

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों का संगम है इस रचना में ।

अनुपमा पाठक ने कहा…

सुन्दर रचना!

Kailash Sharma ने कहा…

मिलेंगे फिर कभी
ग़र ख्व़ाब तुम सजाओ
रहेंगी न फिर मेरी वीरानियाँ,
बिन कहे तय हुआ ये
साथ चलेंगे हम
यूँ हीं जियेंगे सदियाँ !

बहुत कोमल अहसास..बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति

vandana gupta ने कहा…

वाह! क्या खूब भाव भरे हैं।

वाणी गीत ने कहा…

बिना कहे जो तय हुआ ...
ख्वाब कहाँ सच ही हुआ ...
सुन्दर भावमय कविता !

Dorothy ने कहा…

दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.