सोमवार, 31 जनवरी 2011

211. तय था (पुस्तक - 28)

तय था

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तय था
प्रेम का बिरवा लगाएँगे
फूल खिलेंगे और सुगंध से भर देंगे
एक दूजे का दामन हम

तय तो था
अंजुरी में भर, खुशिया लुटाएँगे
जब थककर
एक दूजे को समेटेंगे हम

तय यह भी था
मिट जाएँ बेरहम ज़माने के हाथों 
मगर, दिल में लिखे नाम
मिटने न देंगे कभी हम

तय यह भी तो था
बिछड़ गए गर तो 
एक दूजे की यादों को सहेजकर
अर्घ्य देंगे हम

बस यह तय न कर पाए थे
कि तय किए सभी
सपने बिखर जाएँ
फिर
क्या करेंगे हम?

- जेन्नी शबनम (30 . 1 . 2011)
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22 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

प्रेम का बिरवा लगायेंगे
फूल खिलेंगे और
सुगंध से भर देंगे
एक दूजे का दामन हम !
--
यही तो जीवन का सार है!

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

'बस ये तय न कर पाए थे
...............................
......क्या करेंगे हम '
बहुत ही सुन्दर रचना ...

vijaymaudgill ने कहा…

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?


kya baat hai dost end bahut ki kamaaal hai. bahut khoob

केवल राम ने कहा…

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?


फिर से नए सपने सजा लेना ..जिन्दगी में यही तो होता है ..पर जिन्दगी कब कहाँ रूकती है ...बहुत सुंदर

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना शबनम जी ! कितनी खूबसूरती से मन की पीड़ा को शब्द दिए हैं आपने ! वाह ! बधाई एवं शुभकामनायें !

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

आज ४ फरवरी को आपकी यह सुन्दर भावमयी पोस्ट चर्चामंच पर है... आपका आभार ..कृपया वह आ कर अपने विचारों से अवगत कराएं

http://charchamanch.uchcharan.com/2011/02/blog-post.html

Sadhana Vaid ने कहा…

बहुत ही मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति है शबनम जी !

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
हृदय को अंदर तक भिगो गयी आपकी रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

तय था कि एक दिन हम आपके ब्लॉग पर जरुर आयेंगे |वाकई एक बेहतरीन कविता आपने लिखी है \बहुत बहुत बधाई शबनम जी |

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

जीवन के रंगों को बहुत सुंदर ढंग से चित्रित किया है आपने। बधाई।

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ध्‍यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्‍दर्य को निरखने का अवसर।

Kailash Sharma ने कहा…

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?

मन की पीड़ा की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

Unknown ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति ..अहसासों की कोमल अभिव्यक्ति कहने सुनने से बहुत दूर अहसासों की दुनिया..बधाई

सहज साहित्य ने कहा…

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
उपर्युक्त पंक्तियों का अन्तर्द्वन्द्व मन को मथ देता है और इसका उत्तर तलाश करना सचमुच बहुत कठिन है ।प्रत्येक शब्द की मार्मिकता सिर चढ़कर बोलती है ।

सहज साहित्य ने कहा…

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम ?
इन पंक्तियों में निहित अन्तर्द्वन्द्व ही इस कविता की सबसे बड़ी शक्ति है । अर्थ की कई छटाएँ अनुस्यूत हैं।

बेनामी ने कहा…

जब प्रेम इतनी ढेर सारी संवेदनाओं से भरा हो तो उससे जुड़े सपनों का बिखरना असंभव है |और हाँ यादें हिस्सा बन जाती हैं मन और ह्रदय का ,उन्हें सहेजने की क्या जरुरत ?दिल के हर एक कोने को झंकृत करती रचना

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत खूब...मन मोह लिया आपने जेन्नी जी...।

mridula pradhan ने कहा…

बस ये तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाए
फिर...
क्या करेंगे हम
bahut achcha likhtin hain aap lekin udas kar dee apki kavita...

Madhu Rani ने कहा…

कविता का अंत बहुत सुंदर है, यही कविता की जान है।दिल के दर्द को सुन्दरता से शब्दों में पिरोया है जेन्नी। बधाई।