अप्रैल फ़ूल   
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आईने के सामने रह गई मैं भौचक खड़ी  
उस पार खड़ा वक़्त ठठाकर हँस पड़ा  
बेहयाई से बोला-  
तू आज ही नहीं बनी फ़ूल   
उम्र के गुज़रे तमाम पलों में  
तुम्हें बनाया है अप्रैल फ़ूल।    
- जेन्नी शबनम (1. 4. 2016)  
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3 टिप्पणियां:
वाह, बहुत खूब
समय तो बनाता ही है पर चेतावनी से कर ... हम ही न सुने उसकी तो अप्रेल फूल तो बनना ही है ...
जबरदस्त....
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