हमारी माटी    
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1.  
किरणें आईं   
खेतों को यूँ जगाती   
जैसे हो माई।  
2.  
सूरज जागा  
पेड़-पौधे मुस्काए  
खिलखिलाए।  
3.  
झुलसा खेत  
उड़ गई चिरैया  
दाना न पानी।  
4.  
दुआ माँगता  
थका-हारा किसान  
नभ ताकता।  
5.  
जादुई रूप  
चहूँ ओर बिखरा  
आँखों में भरो।  
6.  
आसमाँ रोया  
खेतिहर किसान  
संग में रोए।  
7.  
पेड़ हँसते  
बतियाते रहते,  
बूझो तो भाषा?  
8.  
बहती हवा  
करे अठखेलियाँ  
नाचें पत्तियाँ।  
9.  
पास बुलाती  
प्रकृति है रिझाती  
प्रवासी मन।  
10.  
पाँव रोकती,  
बिछुड़ी थी कबसे  
हमारी माटी।  
11.  
चाँद उतरा  
चाँदनी में नहाई  
सभी मड़ई।  
12.  
बुढ़िया बैठी  
ओसारे पर धूप  
क़िस्सा सुनाती।  
13.  
हरी सब्ज़ियाँ  
मचान पे लटकी  
झूला झूलती।  
14.  
आम्र मंजरी  
पेड़ों पर खिलके  
मन लुभाए।  
15.  
गिरा टिकोला  
खट्टा-मीठा-ठिगना  
मन टिके ना।  
16.  
रवि हारता  
गरमी हर लेती  
ठण्डी बयार।  
17.  
गप्पें मारती  
पूरबा दिनभर   
गाछी पे बैठी।  
18.  
बुढ़िया दादी  
टाट में से झाँकती  
धूप बुलाती।  
19.  
गाँव का चौक  
जगमग करता  
मानो शहर।  
20.  
धूल उड़ाती  
पशुओं की क़तार  
गोधूली वेला।  
-जेन्नी शबनम (11.5.2017)  
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10 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर बर्णन प्रकृति का |
Padh Kar Man Aanandit Ho Gyaa Hai . Badhaaee .
बढ़िया प्रस्तुति ...
सुन्दर हाइकु
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14-05-2017) को
"लजाती भोर" (चर्चा अंक-2631)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर हाइकु।
नमस्ते, आपकी यह रचना "पाँच लिंकों का आनंद "(http://halchalwith5links.blogspot.in) में लिंक की गयी है। गुरुवार 1 जून 2017 को प्रकाशित होने वाले अंक में चर्चा के लिए आप सादर आमंत्रित हैं।
बहुत अच्छे हाइकु
गाँव का जीवन कितना सुन्दर है हाइकु पढ़कर पता चला.
बहुत सुन्दर हाइकु पढ़ने को मिले पहली बार .
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