बुधवार, 19 दिसंबर 2018

596. दुःख (दुःख पर 10 हाइकु) पुस्तक 100, 101

दुःख (10 हाइकु)   

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1.   
दुःख का पारा 
सातवें आसमाँ पे   
मन झुलसा।    

2.   
दुःख का लड्डु   
रोज़-रोज़ यूँ खाना   
बड़ा ही भारी।    

3.   
दुःख की नदी 
बेखटके दौड़ती   
बे रोक-टोक।    

4.   
साथी है दुःख   
साथ है हरदम 
छूटे न दम।    

5.   
दुःख की वेला 
कभी तो गुज़रेगी   
मन में आस।    

6.   
दुःख की रोटी 
भरपेट है खाई   
फिर भी बची।    

7.   
दुःख अतिथि 
जाने की नहीं तिथि   
बड़ा बेहया।    

8.   
दुःख की माला 
काश ये टूट जाती   
सुकून पाती।    

9.   
मस्त झूमता 
बड़ा ही मतवाला   
दुःख है योगी।    

- जेन्नी शबनम (28. 9. 2018)   
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8 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,

आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 20 दिसम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1252 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।

Kailash Sharma ने कहा…

दुःख की वेला अवश्य ही गुज़रेगी... दिल को छूते बहुत ख़ूबसूरत हाइकु...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-12-2018) को "आनन्द अलाव का" (चर्चा अंक-3192) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

Sudha Devrani ने कहा…

लाजवाब हायकू
वाह!!!

मन की वीणा ने कहा…

वाह बहुत सुन्दर हाइकु ।

Meena sharma ने कहा…

बहुत सरल शब्दों में अच्छा विश्लेषण किया है आपने दुःख का....

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर