गुरुवार, 26 सितंबर 2019

628. गुम सवाल (क्षणिका)

गुम सवाल   

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ज़िन्दगी जब भी सवालों में उलझी   
मिल न पाया कोई माकूल जवाब   
फिर ठठाकर हँस पड़ी   
और गुम कर दिया सवालों को   
जैसे वादियों में कोई पत्थर उछाल दे।   

- जेन्नी शबनम (26. 9. 2019)
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3 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-09-2019) को    "महानायक यह भारत देश"   (चर्चा अंक- 3471)     पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

सवाल कहाँ गुम होते है ,कोई और नया उठ खड़ा होता है.

मन की वीणा ने कहा…

वाह बहुत उम्दा।