झील
(झील पर 30 हाइकु)
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1. 
अद्भुत छटा   
आत्ममुग्ध है झील   
ख़ुद में लीन।   
2. 
ता-ता थइया   
थिरकती झील   
वो अलबेली।   
3. 
अनवरत   
हुड़दंग मचाती   
नाचती झील।   
4. 
आसमाँ फेंके   
झील बेचारी हाँफे   
धरती लोके।   
5. 
कोई न साथी   
दुःख किससे बाँटे   
एकाकी झील।   
6. 
पीती रहती   
बड़ी प्यासी है झील   
अपना नीर।   
7. 
रोज़ बुलाती   
स्वप्न सुन्दरी झी ल   
मन लुभाती।   
8. 
अद्भुत झील   
वो कहाँ से है लाती?   
इतना पानी।   
9. 
झील लजाई   
चाँद ने जो पुकारा   
आकर मिला।   
10. 
झील-सा मन   
तेरी यादों की नाव   
बहती रही।   
11. 
ठहरा मन   
हलचल के बिना   
जीवन-झील।   
12. 
बुरा मानती   
प्रदूषण की मारी   
चुप है झील।   
13. 
झील उदास   
कोरोना का क़हर   
कोई न पास।   
14.
झील-झरना   
प्रकृति की संतान   
भाई-बहना।   
15. 
काश बहती   
नदियों-सी घूमती,   
झील सोचती!   
16. 
चाँदनी रात   
झील की आगोश में   
बैठा है चाँद।   
17. 
थका सूरज   
करने को आराम   
झील में कूदा।   
18. 
झील है बेटी   
प्रकृति को है नाज़   
लेती बलैयाँ।   
19. 
झील व चाँद   
लुका-छुपी खेलते   
दिन व रात।   
20. 
झील निगोड़ी   
इतनी ख़ूबसूरत   
फिर भी तन्हा!   
21. 
झील सिखाती-   
ठहरे हुए जीना,   
नहीं हारना।   
22. 
कैसे वो पीती   
प्रदूषित है पानी,   
प्यासी है झील।   
23. 
झील बेहाल   
मीन दम तोड़ती   
बंजर कोख।   
24. 
झील चकोर   
आसमाँ को बुलाती   
बैठी रहती।   
25. 
झील में नभ   
चुपचाप है छुपा   
चाँद ढूँढता।   
26. 
झील-सा स्वप्न   
चौहद्दी में है कैद   
बहा, न मरा।   
27. 
झील-सी आँखें   
देखती स्वप्न पूर्ण   
होती अपूर्ण।   
28. 
झील डरती,   
मानव व्यभिचारी   
प्राण न छीने।   
29. 
झील की गोद   
नरम-मुलायम   
माँ की गोद।   
30. 
झील है थकी,   
सदियों से है थमी   
क्यों यह कमी?  
-जेन्नी शबनम (22.3.2021)
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12 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-03-2021) को "रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुफकामनाएँ" (चर्चा अंक 4015) पर भी होगी।
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मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत सुंदर
कमाल के हाइकू रचे हैं आपने एक ही विषय पर । यह प्रतिभा भी अपने आप में अद्भुत है ।
सभी हाइकु बहुत बढ़िया ...
झील है एक
विचार हैं अनेक
रचे हाइकु .
सारगर्भित हाइकू सृजन!--ब्रजेंद्रनाथ
अति सुन्दर । लाजवाब ।
झील की गोद
नरम-मुलायम
माँ की गोद।
लाजवाब
एक से बढ़ कर एक हाइकू झील पर ...
अलग तरह से बात कह रहा है हर हाइकू ये खूबी है इनमें ...
कहाँ से है लाती इतना पानी । झील पर एक से बढ़कर एक अभिव्यक्ति ।
बुझाता के झीले के किनारे चहुँप गइलीं आ रात भर टकटकी मार देखलीं ह । झील के भिन्न-भिन्न भाव और दृष्टि से अवलोकन ...सच्ची ...बहुतय नीमान लागल ।
आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
I really like the above information. Hindi Shayari
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