पखेरू
(8 हाइकु)
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1.
नील गगन
पुकारता रहता -
पाखी, तू आ जा!
2.
उड़ती फिरूँ
हवाओं संग झूमूँ
बन पखेरू।
3.
कतरे पंख
पर नहीं हारूँगी,
फिर उडूँगी।
4.
चकोर बोली -
चन्दा छूकर आएँ
चलो बहिन।
5.
मन चाहता,
स्वतंत्र हो जीवन
मुट्ठी में विश्व।
6.
उड़ना चाहे
विस्तृत गगन में
मन पखेरू।
7.
छूना है नभ
कामना पहाड़-सी
हौसला पंख।
8.
झूमता मन,
अनुपम प्रकृति
संग खेलती।
- जेन्नी शबनम (18. 6. 2021)
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9 टिप्पणियां:
सुंदर,सजीले, आशाओं के दीप जलाते हाइकु।
बहुत सुन्दर
वाह ! प्रकृति की सुंदरता में भीगते हाइकू
वाह! बहुत सुंदर त्रिपदी रचनाएं।
पर्यावरण
आपके हाइकु में
निखरा हुआ
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर हाइकु
पखेरू और उड़ान और मन की उड़ान ...
कुछ लाइनों में बाखूबी लिखा है अनेक पलों को ...
छूना है नभ
कामना पहाड़-सी
बहुत सुंदर
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