शुक्रवार, 25 जून 2021

730. पखेरू (8 हाइकु)

पखेरू 

(8 हाइकु) 

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1. 
नील गगन   
पुकारता रहता -   
पाखी, तू आ जा!   

2. 
उड़ती फिरूँ   
हवाओं संग झूमूँ   
बन पखेरू।   

3. 
कतरे पंख   
पर नहीं हारूँगी,   
फिर उडूँगी।   

4. 
चकोर बोली -   
चन्दा छूकर आएँ   
चलो बहिन।   

5. 
मन चाहता,   
स्वतंत्र हो जीवन   
मुट्ठी में विश्व।   

6. 
उड़ना चाहे   
विस्तृत गगन में   
मन पखेरू।   

7. 
छूना है नभ   
कामना पहाड़-सी   
हौसला पंख।   

8. 
झूमता मन,   
अनुपम प्रकृति   
संग खेलती।   

- जेन्नी शबनम (18. 6. 2021)
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9 टिप्‍पणियां:

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

सुंदर,सजीले, आशाओं के दीप जलाते हाइकु।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुन्दर

Anita ने कहा…

वाह ! प्रकृति की सुंदरता में भीगते हाइकू

मन की वीणा ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर त्रिपदी रचनाएं।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

पर्यावरण
आपके हाइकु में
निखरा हुआ

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर हाइकु

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पखेरू और उड़ान और मन की उड़ान ...
कुछ लाइनों में बाखूबी लिखा है अनेक पलों को ...

MANOJ KAYAL ने कहा…

छूना है नभ   

कामना पहाड़-सी  

बहुत सुंदर