इन्द्रधनुष खिला
(बरसात पर 10 हाइकु)
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1.
आकाश दिखा
इन्द्रधनुष खिला
मचले जिया।
2.
हुलसे जिया
घिर आए बदरा
जल्दी बरसे।
3.
धरती गीली
चहुँ ओर है पानी
हिम पिघला।
4.
भीगा अनाज
कुलबुलाए पेट
छत टपकी।
5.
बिजली कौंधी
कहीं जब है गिरी
खेत झुलसे।
6.
धरती ओढ़े
बादलों की छतरी
सूरज छुपा।
7.
मेघ गरजा
रिमझिम बरसा
मन हरसा।
8.
कारे बदरा
टिप-टिप बरसे
मन हरसे।
9.
इन्द्र देवता
हुए धरा से रुष्ट
लोग पुकारें।
10.
ठिठके खेत
कर जोड़ पुकारे
बरसो मेघ।
- जेन्नी शबनम (18. 8. 2011)
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आकाश दिखा
इन्द्रधनुष खिला
मचले जिया।
2.
हुलसे जिया
घिर आए बदरा
जल्दी बरसे।
3.
धरती गीली
चहुँ ओर है पानी
हिम पिघला।
4.
भीगा अनाज
कुलबुलाए पेट
छत टपकी।
5.
बिजली कौंधी
कहीं जब है गिरी
खेत झुलसे।
6.
धरती ओढ़े
बादलों की छतरी
सूरज छुपा।
7.
मेघ गरजा
रिमझिम बरसा
मन हरसा।
8.
कारे बदरा
टिप-टिप बरसे
मन हरसे।
9.
इन्द्र देवता
हुए धरा से रुष्ट
लोग पुकारें।
10.
ठिठके खेत
कर जोड़ पुकारे
बरसो मेघ।
- जेन्नी शबनम (18. 8. 2011)
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7 टिप्पणियां:
जेन्नी जी बेहतरीन हाइकू आपकी परिभाषा बदल रही है काव्य हायकूमय हो रहे है बधाई
बरसो रे मेघा .....बहुत खूब .
हाइकु की तीन पंक्तियों और इतने कम वर्णों में बिम्ब -विधान का निर्वाह बहुत कठिन है ;लेकिन डॉ जेन्नी शबनम ने ध्वनि बिम्ब और दृश्य बिम्ब का निर्वाह निम्नलिखित हाइकुओं में सफलतापूर्वक किया है। यह तभी सम्भव है जब रचनाकार विषय को पूर्णतया आत्मसात् करके सर्जन करता है -
-कारे बदरा
टिप टिप बरसे
मन हरसे.
-ठिठके खेत
कर जोड़ पुकारे
बरसो मेघ!
मनमोहक चित्रण और तदनुरूप भाषा -प्रयोग के लिए हार्दिक बधाई!
baarish me bhigi sundar kshnikayen..
bahot achche......
डॉ. जेन्नी शबनम जी
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
सुन्दर ...कई दिनों से बारिश के दर्शन नहीं हुए थे ..आपके इन हाइकू को धन्यवाद कि पढते पढते ,बैठे बैठे...दर्शन करवा दिए
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