साथी
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मेरी हँसी खो गई साथी
मेरी यादें रूठ गईं साथी
दिन महीने और साल बीते
न जाने कब और कैसे बीते
हम संग-संग कैसे रहते थे
हम पल-पल कैसे हँसते थे
बीती बातें हमें रूलाती हैं
रूठी यादें तुम्हें बुलाती हैं,
फिर से हम हँसना सीखें
यादों को हम जीना सीखें
विस्मृत हो तो बस वेदना
विस्मृत न हो मेरा सपना
थोड़ी हँसी लेकर आओ
आकर के जीना सिखलाओ,
सब कुछ हमको दुःख देता है
हर कोई हमसे छल करता है
धैर्य नहीं अब मन धरता है
पल-पल जीवन भारी लगता है
बस अब तुम आ जाओ साथी
आकर गले लगाओ साथी,
ठौर-ठौर जो मन रुठा था
पल-पल मेरा भ्रम टूटा था
मेरे लिए तुम आओ साथी
सारे दुःख तुम हर लो साथी
मेरी हँसी रूठ गई साथी
मेरी यादें खो गई साथी।
- जेन्नी शबनम (8. 2. 2020)
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1 टिप्पणी:
वाह, बहुत सुंदर
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