अल्फ़ाज़ उगा दूँ
*******
सोचती हूँ
कुछ अल्फ़ाज़ उगा दूँ,
तितर-बितर कर
हर तरफ पसार दूँ,
चुक गए हैं
मेरे अंतस से सभी,
शायद किसी निर्मोही पल में
उनकी ज़रुरत पड़ जाए !
- जेन्नी शबनम (नवम्बर 11, 2011)
______________________________ _____
*******
सोचती हूँ
कुछ अल्फ़ाज़ उगा दूँ,
तितर-बितर कर
हर तरफ पसार दूँ,
चुक गए हैं
मेरे अंतस से सभी,
शायद किसी निर्मोही पल में
उनकी ज़रुरत पड़ जाए !
- जेन्नी शबनम (नवम्बर 11, 2011)
______________________________