शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

558. हिसाब-किताब के रिश्ते (तुकांत)

हिसाब-किताब के रिश्ते  

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दिल की बातों में ये हिसाब-किताब के रिश्ते  
परखते रहे कसौटी पर बेकाम के रिश्ते 

वक़्त के छलावे में जो ज़िन्दगी ने चाह की  
कतरा-कतरा बिखर गए ये मखमल-से रिश्ते   

दर्द की दीवारों पे हसीन लम्हे टँके थे  
गुलाब संग काँटों के ये बेमेल-से रिश्ते   

लड़खड़ाकर गिरते फिर थम-थम के उठते रहे  
जैसे समंदर की लहरें व साहिल के रिश्ते   

नाम की ख़्वाहिश ने जाने ये क्या कराया  
गुमनाम सही पर क्यों बदनाम हुए ये रिश्ते   

चाँदी के तारों से सिले जज़्बात के रिश्ते  
सुबह की ओस व आसमाँ के आँसू के रिश्ते   

किराए के मकाँ में रहके घर को हैं तरसे  
अपनों की आस में 'शब' ने ही निभाए रिश्ते   


- जेन्नी शबनम (8. 9. 2017)  
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