बीत गया...
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अच्छा हुआ बीत गया
हार का एक मनका
अच्छा हुआ टूट गया !
समय का मौसम
मन का मनका
साथ-साथ बिलख पड़े
आस का पंछी रूठ गया !
दोपहरी जलाती रही
साँझ कभी आती नहींये भी किस्सा खूब रहा
तमाशबीन मेरा मन रहा !
हर कथा का सार वही
जीवन का आधार वही
वक़्त से रंज क्यों
फ़लसफ़ा मेरा कह रहा !
- जेन्नी शबनम (दिसम्बर 31, 2011)
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