शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

449. समय-रथ (समय पर 4 हाइकु) पुस्तक 53

समय-रथ 

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1.
रोके न रुके 
अपनी चाल चले 
समय-रथ। 

2.
न देख पीछे 
सब अपने छूटे
यही है सच। 

3.  
नहीं फूटता 
सदा भरा रहता
दुःखों का घट।   

4.
स्वीकार किया 
ज़िन्दगी से जो मिला 
नहीं शिकवा। 

- जेन्नी शबनम (24. 3. 2014)
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