गुरुवार, 4 जुलाई 2019

618. जीवन-पथ (चोका - 12)

जीवन-पथ (चोका)   

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जीवन-पथ   
उबड़-खाबड़-से 
टेढ़े-मेढ़े-से   
गिरते-पड़ते भी   
होता चलना,   
पथ कँटीले सही   
पथरीले भी   
पाँव ज़ख़्मी हो जाएँ   
लाखों बाधाएँ   
अकेले हों मगर   
होता चलना,   
नहीं कोई अपना   
न कोई साथी   
फैला घना अन्धेरा   
डर-डर के   
कदम हैं बढ़ते   
गिर जो पड़े   
खुद ही उठकर   
होता चलना,   
खुद पोंछना आँसू   
जग की रीत   
समझ में तो आती;   
पर रुलाती   
दर्द होता सहना   
चलना ही पड़ता !   

- जेन्नी शबनम (8. 6. 2019) 

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