शासक...
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कैसे उपजती है तुममें ?
कैसे रच देते हो
इतनी आसानी से चक्रव्यूह
जहाँ तिलमिलाती हैं
विवशताएँ
और गूँजता है अट्टहास
जीत क्या यही है ?
किसी को विवश कर
अधीनता स्थापित करना
अपना वर्चस्व दिखाना
किसी को भय दिखाकर
प्रताड़ित करना
आधिपत्य जताना
और यह साबित करना कि
तुम्हें जो मिला
तुम्हारी नियति है
मुझे जो तुम दे रहे
मेरी नियति है
मेरे ही कर्मों का प्रतिफल
किसी जन्म की सज़ा है
मैं निकृष्ट प्राणी
जन्मों-जन्मो से
भाग्यहीन
शोषित
जिसे ईश्वर ने संसार में लाया
ताकि तुम
सुविधानुसार उपभोग करो
क्योंकि तुम शासक हो
सच ही है -
शासक होना ईश्वर का वरदान है
शोषित होना ईश्वर का शाप !
- जेन्नी शबनम (1. 5. 2014)
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