जिद्दी मन...
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ये ज़िद्दी मन ज़िद करता है
जो नहीं मिलता वही चाहता है,
तारों से भी दूर
मंज़िल ढूँढता है
यायावर-सा भटकता है,
जीस्त में शामिल
जंग ही जंग
पर सुकून की बाट जोहता है,
ये मेरा ज़िद्दी मन
अल्फाज़ों का बंदी मन
ख़ामोशी ओढ़ के
जग को खुदा हाफ़िज़ कहता है,
पर्वत-सी ज़िद ठाने
क़तरा-क़तरा ढहता है
मन पल-पल मरता है
पर जीने की ज़िद करता है
ये ज़िद्दी मन ज़िद करता है।
- जेन्नी शबनम (18. 3. 2018)
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