मन किया...
आज फिर से
*******
तुम्हें जी लेने का मन किया
तुम्हारे लम्स के दायरे में
सिमट जाने का मन किया
तुम्हारी यादों के कुछ हसीन पल
चुन-चुन कर
मुट्ठी में भर लेने का मन किया
जिन राहों से हम गुजरे थे
साथ-साथ कभी
फिर से गुजर जाने का मन किया
शबनमी कतरे सुलगते रहे रात भर
जिस्म की सरहदों के पार जाने का मन किया
पोर-पोर तुम्हें पी लेने का मन किया
आज फिर से
तुम्हें जी लेने का मन किया !
- जेन्नी शबनम (अगस्त 4, 2012)
______________________________ _____